बांधवगढ़ ने किया नये मेहमानो का स्वागत

कान्हा से आये 19 बारहसिंघे, अधिकारियों ने करतल घ्वनि से की आगवानी
बांधवभूमि, उमरिया
मण्डला जिले के कान्हा टाईगर रिजर्व से आये 19 बारहसिंघों ने रविवार को जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ मे कदम रखा। इस मौके पर पार्क के अधिकारियों व कर्मियों ने करतल ध्वनि से नये मेहमानो का स्वागत किया। सूत्रों के मुताबिक बारहसिंघों को फिलहाल मगधी जोन मे बनाये गये एक विशाल बाडे मे रखा गया है, जहां वे करीब तीन साल तक रहेंगे। वातावरण से वाकिफ होने के बाद उन्हे खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। 19 बारहसिंघों मे आठ मादा और 11 नर शामिल है। उल्लेखनीय है कि बायसन परियोजना की सफलता के बाद अब बांधवगढ़ मे बारहसिंघा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। जिसके तहत यहां सौ बारहसिंघों को बसाने की योजना है। ये सभी कान्हा से लाये जायेंगे।
कार्यक्रम मे नहीं पहुंचे वनमंत्री
बांधवगढ़ मे बारहसिंघा परियोजना का शुभारंभ राज्य के वनमंत्री कुंवर विजय शाह के करकमलों से होना था, परंतु व्यस्तता के कारण वे इस कार्यक्रम मे शामिल नहीं हो सके। वन विभाग के अधिकारियों ने ही बारहसिंघों को बाड़े मे छोड़ा। इस दौरान पीसीसीएफ जेएस चौहान, एसएफआरआई संचालक अमिताभ अग्निहोत्री, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक राजीव मिश्रा, उपसंचालक लवित भारती, एसएफआरआई के रविन्द्रमणि त्रिपाठी, डॉ. मजूमदार, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक सुधीर मिश्रा सहित अन्य अधिकारी और मौजूद थे।
बनाया गया सुरक्षित बाड़ा
बारहसिंघों के लिये बांधवगढ़ के मगधी जोन मे पचास हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र मे एक बाड़ा तैयार किया गया है। जो कि पूरी तरह से सुरिक्षत है। बाड़े की फैंसिंग इस तरह बनाई गई है कि बाघ और रेंगने वाले जानवर अंदर प्रवेश न कर सकें।
तीन साल बाद लेंगे खुली हवा मे सांस
बांधवगढ़ मे बारहसिंघों को बसाने की परियोजना पर कई दिन से कार्य चल रहा था। इसके लिये विशषज्ञों के दल ने दोनो स्थानो की जमीन और जंगल सहित अन्य विषयों पर गहन अध्ययन किया और पाया कि कान्हा और बांधवगढ़ की परिस्थितियों मे काफी अंतर है, इसके बावजूद यहां यह परियोजना सफल हो सकती है। विशेषज्ञों का मत है कि कान्हा के बारहसिंघों को बांधवगढ़ के वातावरण का आदी बनाने के लिये उन्हे तीन साल तक बाड़े मे रखना जरूरी है। जब वे यहां की आबोहवा के अभ्यस्त हो जायेंगे तो उन्हे जंगल मे छोड़ दिया जायेगा।

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