अरूणाचल प्रदेश मे बड़ा हादसा, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर के ऊंचाई वाले इलाके में भारतीय सेना का एक गश्ती दल हिमस्खलन (एवलॉन्च) की चपेट में आ गया। इसमें 7 जवानों के फंसे होने की खबर है। घटना रविवार की है। सेना ने एक बयान में कहा कि क्षेत्र में पिछले कई दिनों से भारी बर्फबारी के साथ खराब मौसम की सूचना मिल रही है। जवानों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि सर्दियों के महीनों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गश्त करना मुश्किल होता है, जिसके चलते पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं और हम अपने कई जवानों को खो चुके हैं। मई 2020 में सिक्किम में हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के दो जवान शहीद हो गए थे।
2019 में हिमस्खलन ने ली 17 जवानों की जान
इसके अलावा अक्टूबर 2021 में उत्तराखंड में माउंट त्रिशूल पर एक हिमस्खलन में नौसेना के 5 जवानों की मौत हो गई थी। वहीं केंद्र ने भी संसद में कई बार इस बारे में जानकारी दी है। फरवरी 2020 में केंद्र ने संसद में बताया कि 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के 6 जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गए थे।
इसके अलावा अक्टूबर 2021 में उत्तराखंड में माउंट त्रिशूल पर एक हिमस्खलन में नौसेना के 5 जवानों की मौत हो गई थी। वहीं केंद्र ने भी संसद में कई बार इस बारे में जानकारी दी है। फरवरी 2020 में केंद्र ने संसद में बताया कि 2019 में सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन के कारण सेना के 6 जवानों की मौत हो गई थी, जबकि अन्य जगहों पर इसी तरह की घटनाओं में 11 अन्य मारे गए थे।
जवानों को मिलती है स्पेशल ट्रेनिंग
केंद्र सरकार ने संसद में यह भी बताया कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शामिल सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें पर्वतीय शिल्प, बर्फ शिल्प और पहाड़ों में हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे गश्त के दौरान आपात स्थिति से निपट सकें।
केंद्र सरकार ने संसद में यह भी बताया कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शामिल सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उन्हें पर्वतीय शिल्प, बर्फ शिल्प और पहाड़ों में हिमाच्छादित इलाकों में जीवित रहने और हिमस्खलन जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे गश्त के दौरान आपात स्थिति से निपट सकें।
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