तीन साल मे भी स्मार्ट नहीं हुई सिटी
करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी नहीं बदली शहर की तस्वीर
उमरिया। बुद्धिजीवियों की नगरी कही जाती चंदिया को स्मार्ट बनाने की कवायद से लोगों को लगा था कि उन्हे जल्दी ही बरसों पुरानी तंग गलियों और मूलभूत समस्याओं से निजात मिल जायेगी। सरकार ने इसके लिये करीब 31 करोड़ रूपये का प्रावधान भी कराया परंतु तीन साल बीत जाने के बाद भी शहर की हालत मे सुधार तो नहीं हुया, ऊपर से परेशानी और बढ़ गई। करीब दो साल पहले अतिक्रमण हटा कर शुरू हुआ मुख्य बाजार की सड़क का निर्माण अभी भी पूरा नहीं हो सका है। यही हालत स्ट्रीट लाईट और सौंदर्यीकरण का है। बस स्टेण्ड सहित कई कार्यो की तो ईट भी नहीं रखी गई है। सूत्रों के मुताबिक चंदिया को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने मे अभी तक करीब 10 करोड़ रूपये से ज्यादा राशि खर्च की जा चुकी है, पंरतु जमीन पर एक करोड़ का भी काम दिखाई नहीं दे रहा है। इतनी बड़ी राशि का भुगतान किस तरह से कर दिया गया, इसकी जानकारी कोई भी अधिकारी देने को तैयार नहीं है।
मनमानी का निर्माण
विकास के किसी भी प्रोजेक्ट की पहले रूपरेखा बनती है, उसके बाद ही स्वीकृत योजना और नक्शे के मुताबिक निर्माण कार्य संपन्न होता है, लेकिन चंदिया मे हालत इससे बिल्कुल उलट है। यहां स्वीकृत नक्शे की बजाय ठेकेदार की मनमानी से काम हो रहा है। कई स्थानो पर तो सड़कों की चौड़ाई ही घटा दी गई है। कुल मिला कर स्मार्ट सिटी का पूरा कार्य मजाक बन कर रह गया है।
बनने से पहले ही उखडऩे लगी सड़क
जानकारों का मानना है कि चंदिया को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की पूरी योजना ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण चौपट होती जा रही है। अब तक हुए सभी निर्माण कार्य बेहद गुणवत्ताहीन है। नई सड़क मे ना तो कोई एलाईमेंट है नां ही फिनिशिंग। इतना ही नहीं उद्घाटन से पहले ही रोड कई जगह से उखडऩे भी लगी है। सूत्रों का दावा है कि इस समूचे काम मे संबंधित विभाग के अधिकारियों और निर्माण एजेन्सी द्वारा जम कर बंदरबांट और धांधली की जा रही है।
नगर मे होने हैं ये निर्माण कार्य
ज्ञांतव्य हो कि 2018 विधानसभा चुनाव को ध्यान मे रखते हुए तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चंदिया को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की गई थी। जिसके तहत नगर की सडक़ों और तालाबों का विकास, बस स्टेंड चौराहा, रामजानकी मंदिर, शिव मंदिर समेत नये बस स्टेण्ड का निर्माण, प्रकाश, पेयजल, सफाई व्यवस्था मे सुधार के कई कार्य किये जाने थे। सरकार ने इन समस्त कार्यो के लिये एक गाईडलाईन बनाने के सांथ ही समय सीमा भी तय की थी। जिसे करीब ढाई वर्ष होने जा रहे हैं, परंतु सीएम की उक्त घोषणा आज भी पूरी होने की बाट जोह रही है। इस कार्य को बेहतर तरीके से कराने की जिम्मेदारी मप्र अर्बन डेवलपमेंट कार्पोरेशन को दी गई है। सूत्रों के मुताबिक एमपीयूडीसी के अधिकारी भी ठेकेदार की कठपुतली बन कर रह गये हैं।