पैसा दो तब मिलेगा पीएम आवास
पंचायतों मे चल रहा काटने-जोडऩे का खेल, अधर मे लटका पक्की छत का सपना
बांधवभूमि, राजऋषि मिश्रा
चिल्हारी। एक ओर जहां सरकार गरीबों को पक्की छत मुहैया कराने का बखान करते नहीं थकती, वहीं दूसरी तरफ कई पात्र हितग्राहियों को बरसों से अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। वह इसलिये कि उनके पास जनपद और ग्राम पंचायतों मे बैठे भ्रष्ट सरपंच, सचिव तथा अन्य पदाधिकारियों की जेब गरम करने की गुंजाईश नहीं है। जिले की अनेक ग्राम पंचायतों मे तो बकायदा नाम काटने और जोडऩे का खुला खेल चल रहा है। यहां बस एक ही नियम है, पहले लाओ-पहले पाओ। जिस हितग्राही ने पैसा दिया, वह पात्र, जिसने नहीं दिया वह कुपात्र। शासन की इस महात्वाकांक्षी योजना की जमीनी हकीकत मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत चंदवार मे देखी जा सकती है। जहां 2011 से प्राथमिक सूची मे शामिल गरीबों को आज तक आवास का लाभ नहीं मिल सका है। उनका आरोप है कि सचिव इस काम के लिये सीधे दस हजार रूपये मांग रहा है, जो उनके पास नहीं है।
हो सकता है बड़ा हादसा
सरकार का दावा है कि 2022 तक हर सिर पर छत मुहैया करा दी जायेगी। जबकि जिले मे अभी भी हजारों लोग इस योजना से वंचित हैं। चंदवार ग्राम मे तो कई परिवार ऐसे जर्जर मकानो मे रहने को मजबूर हैं जो कभी भी गिर कर किसी बड़े हादसे का सबब बन सकते हैं। विशेषकर बारिश मे यह खतरा और भी बढ़ जाता है। ये सभी बेहद गरीब और पात्र भी हैं, परंतु उन्हे योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। उप सरपंच रज्जू पाल, अजय द्विवेदी, राजेश सेन, गोविन्दा चौधरी आदि ग्रामीणों ने बांधवभूमि को बताया कि सचिव की मनमानी के कारण कई ग्रामीण पीएम आवास के लिये भटक रहे हैं परंतु उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। स्थानीय निवासी अजय द्विवेदी और राजेश चौधरी ने बताया कि उनका नाम सूची मे शामिल होने के बाद सिर्फ इसलिये काट दिया गया, क्योंकि उन्होने सरपंच, सचिव की डिमाण्ड पूरी नहीं की।
ऊपर तक पहुंचता है हिस्सा
ग्रामीणों का आरोप है कि चंदवार पंचायत मे सरकारी राशि की बंदरबांट चल रही है। जिसकी वजह से ग्राम का विकास ठप्प पड़ गया है। सड़कें और नालियां टूट कर बिखर चुकी हैं। सरकारी योजनाओं का न तो प्रचार होता है ना ही किसी को कोई जानकारी ही दी जाती है। सारा विकास केवल कागजों मे ही दिखाई पड़ता है। लूट का यह पैसा मानपुर जनपद मे बैठे अधिकारियों तक पहुंचने के कारण फर्जीवाड़े की शिकायतों पर कोई कार्यवाही ही नहीं होती।
मंहगाई मे गुम हुआ अनुदान
जानकारों का मानना है कि मंहगाई के कारण वैसे भी सरकार द्वारा दी जा रही राशि से पीएम आवास बनाना मुश्किल हो रहा है। गौरतलब है कि आवास के लिये ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों को लगभग ढाई लाख रूपये दिये जाते हैं। यह राशि जिस समय घोषित हुई थी तब लोहे का मूल्य 20 रूपये किलो और सीमेंट की कीमत करीब 120 रूपये बोरी थी। वहीं मजदूरी 100 रूपये के आसपास थी। जबकि आज लोहा 50 रूपये, सीमेंट 300 रूपये और मजदूरी भी 300 रूपये हो गई है। लोगों की मांग है कि मंहगाई को देखते हुए आवास की राशि को बढ़ा कर कम से कम 4 लाख रूपये किया जाय।
सीईओ साहब ने नहीं उठाया फोन
जनपद पंचायत मानपुर मे चल रही धांधली और सरकारी राशि की बंदरबांट के संबंध मे जब सीईओ मानपुर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होने फोन रिसीव नहीं किया।
पैसा दो तब मिलेगा पीएम आवास
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