पैंतीस रूपये बढ़ गया सीमेंट

पैंतीस रूपये बढ़ गया सीमेंट
रोटी-कपड़े के बाद अब मकान पर भी लगा गृहण, हर ओर बस मंहगाई ही मंहगाई
बांधवभूमि, उमरिया
लोहे द्वारा कीमतों का कीर्तिमान रचने के बाद अब सीमेंट ने ऐतिहासिक उछाल मारी है। इसके दाम महज एक दिन मे करीब 40 रूपये बोरी तक बढ़े हैं। बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक जारी सप्ताह मे बिरला परफेक्ट जैसे मीडियम क्वालिटी के सीमेंट की कीमत 325 से बढ़ कर 385 रूपये हो गई हैं, जबकि केजीएस कम्पनी का सीमेंट 325 रूपये मे बिक रहा है, कल तक इसके दाम 290 रूपये प्रति बोरी थे। इस कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि लोहे और सीमेंट मे दशकों बाद एक सांथ इतनी तेजी देखी जा रही है। बीते एक साल मे लोहे और सीमेंट की कीमतों मे 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जिसका असर हर प्रकार के निर्माण पर पड़ा है।
इतनी रकम से तो पीएम आवास की नीव भी नहीं बन रही
मंहगे सामान के कारण सरकार द्वारा संचालित पीएम आवास योजना भी चरमराने लगी है। इस योजना के तहत शहर मे मकान बनाने के लिये 2.5 लाख तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 1.5 लाख रूपये मिलते हैं। जबकि आवास स्वीकृत कराने के लिये लोगों को पहले ही 10 हजार रूपये की भेंट चढ़ानी पड़ती है। हितग्राहियों का कहना है कि मंहगाई के कारण इस रकम से अब आवास की नीव भी नहीं बन पा रही है। मकान बनाने के लिये उन्हे ब्याज पर कर्ज लेकर अतिरक्त पैसों का इंतजाम करना पड़ रहा है।
चालाकी से बढ़ाये जा रहे दाम
पेट्रोल, डीजल तथा गैस की तरह लोहे और सीमेंट के दाम भी चालाकी के सांथ बढ़ाये जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर 6 महीने पहले लोहा छड़ की कीमत महज 58 रूपये प्रति किलो थी। जो धीरे-धीरे पहले 80 तक पहुंचा दी गई। फिर इसे कम कर 70 रूपये किया गया। अब कहा जा रहा है कि लोहे की कीमतें कंट्रोल मे हैं, पर देखा जाय तो पहले और अब मे 12 रूपये किलो की वृद्धि बरकरार है।
कदम-कदम पर टेक्स
मंहगाई की मार ने आम आदमी का रोटी-कपड़ा और मकान का सपना धूमिल कर दिया है। मंहगाई से सबसे ज्यादा परेशान मध्यम वर्ग है, जिसकी आय तो लगातार घट रही है पर व्यय बढ़ता ही जा रहा है। जानकारों का मानना है कि मुसीबत की वजह कदम-कदम पर लगने वाला कई प्रकार का टेक्स है। कहने को तो प्रधानमंत्री ने अनेक नारों के सांथ एक नारा एक राष्ट्र, एक कर का भी दिया था परंतु इस पर अमल नहीं हो सका। सरकार पेटोल-डीजल और घरेलू गैस पर भारी-भरकम टेक्स ले रही है। वहीं जीएसटी के कई स्लैब आज भी बरकार हैं। इसके अलावा सर्विस टेक्स, संपत्ति कर सहित विभिन्न प्रकार के सेस लोगों की जेब काट रहे हैं। अंत मे जो बचा, वो समेटने के लिये आयकर विभाग बैठा ही हुआ है।
ठेकेदारों ने राज्यपाल से मांगी राहत
इधर भवन निर्माण सामग्री की कीमतों मे हुई बेतहाशा बढ़ोत्तरी को लेकर जिले के ठेकेदार संघ ने मंगलवार को महामहिम राज्यपाल के नाम का ज्ञापन कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को सौंपा है। ज्ञापन मे कहा गया है कि बीते 6 महीनो के दौरान भवन, सड़क आदि निर्माण कार्यो मे लगने वाले लोहा, सीमेंट, डामर, पीवीसी आदि से लेकर हर सामग्री की कीमतें 60 फीसदी तक बढ़ी हैं, परंतु भुगतान पुरानी एसओआर के मुताबिक किया जा रहा है। ठेेकेदारों का कहना है कि 10 करोड़ रूपये से अधिक लागत वाले शासकीय कार्यो मे सामग्री का भुगतान बाजार मूल्य अनुसार करने का प्रावधान है परंतु छोटे ठेकों मे ऐसा नहीं है। इस दोहरे मापदण्ड को समाप्त कर सभी कार्यो मे एक तरह की प्रक्रिया अपनाई जाय। उन्होने बताया कि बेरोजगारी के कारण कई युवाओं ने ठेकेदारी के कारोबार मे उतर कर अपना पंजीयन कराया है। इस बीच विभागों ने भी स्टाम्प ड्यूटी और टेण्डर फार्म की कीमतें बढ़ा दी हैं। इसके अलावा ठेकेदारों को निविदा के दौरान कर्ज लेकर लाखों रूपये ऑर्नेस्ट मनी जमा करनी पड़ती है। यदि सरकार द्वारा राहत नहीं दी गई तो कई ठेकेदार बर्बाद हो जायेंगे। इस अवसर पर केके सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह, श्रवण पाण्डेय, जीके बिल्डर्स, संजय मिश्रा आदि संविदाकार मौजूद थे।

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