देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्थायी तौर पर पुनर्वासित करने का फैसला किया है। इससे पहले अस्थायी पुनर्वास के प्रति प्रभावितों ने रुचि नहीं दिखाई थी। जोशीमठ में साढ़े आठ सौ से अधिक प्रभावित परिवार राहत शिविरों में रुके हैं। असुरक्षित हो चुके भवनों से परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का क्रम जारी है। दरारों के कारण जेपी कालोनी के 15 भवनों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दरअसल चमोली जिला प्रशासन ने जीएसआई की ओर से भूमि सर्वेक्षण जांच के बाद पीपलकोटी में स्थायी विस्थापन के लिए दो हेक्टयर भूमि को हरी झंडी दे दी है। अब सीबीआरआई की ओर से भूमि का विकास और भवनों के लेआउट बनाने का काम होगा। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि पीपलकोटी में स्थायी विस्थापन के लिए भूमि को चिह्न्ति कर लिया गया है। जोशीमठ शहर से करीब 36 किमी की दूरी पर स्थित पीपलकोटी में करीब दो हेक्टेयर क्षेत्रफल में 125 से 130 परिवारों को बसाया जाएगा। यहां लोगों को पक्के मकान बनाकर दिए जाएंगे जो लोग मुआवजा लेकर खुद घर बनाना चाहते हैं उसका भी विकल्प दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जीएसआई ने अपनी रिपोर्ट में इस भूमि को स्थायी विस्थापन के लिए उपयुक्त पाया है। अब सीबीआरआई की ओर से भूमि विकास और लेआउट का काम किया जाएगा। डॉ. सिन्हा ने बताया कि ज्यादातर लोग स्थायी विस्थापन के पक्ष में हैं। पीपलकोटी की भूमि ज्यादातर लोगों को पसंद आई है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी तीन अन्य स्थानों पर स्थायी विस्थापन के लिए भूमि चयन की गई है। इनमें कोटी फार्म एचआरडीआई की भूमि और ढाक गांव में स्थित भूमि शामिल है। इनमें से एक कोटी फार्म में स्थित उद्यान विभाग की भूमि पर पहले चरण में तीन प्री-फेब्रीकेटिड डेमोस्ट्रेशन भवन बनाए जाएंगे।
पीपलकोटी मे बसेगा मिनी जोशीमठ, 130 परिवारों के स्थाई पुनर्वास का फैसला
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