पावर प्लांट की सबसे बड़ी इकाई ठप्प

पावर प्लांट की सबसे बड़ी इकाई ठप्प
संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे आधे से भी कम हुआ उत्पादन, गहरा सकता है बिजली संकट
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के पाली स्थित संजय गांधी ताप विद्युत गृह की 500 मेगावाट इकाई मे अचानक आई खराबी के कारण बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। जानकारी के मुताबिक शनिवार दोपहर करीब 12.31 पर यूनिट मे कुछ गड़बड़ी आ गई। संयंत्र की सबसे बड़ी यूनिट ठप्प पड़ जाने से विद्युत गृह मे उत्पादन महज 463 मेगावाट रह गया है। उल्लेखनीय है कि संजय गांधी ताप विद्युत गृह मे कुल 5 इकाईयां हैं, जिनकी क्षमता 1340 मेगावाट है। फिलहाल पांच मे से तीन इकाईयां की संचालित हैं। पावर प्लांट के मुख्य अभियंता वीके कैलासिया ने बताया कि बायलर ट्यूब लीकेज की वजह से इकाई को बंद किया गया है। इसके सुधार मे कम से कम तीन दिन का समय लगेगा, तब तक इकाई बंद रहेगी। ज्ञात हो कि मानसून की आमद के साथ ही प्रदेश मे बिजली की मांग पहले की तुलना मे कम हुई है। ऐसे में बिजली इकाईयों से उत्पादित बिजली को बैंङ्क्षकग के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
बिजली बैंकिंग का इकरार
बिजली कंपनी रबी सीजन मे आने वाली मांग को पूरा करने के लिए अन्य प्रदेशों से बैङ्क्षकग का इकरार कर रहा है ताकि जब प्रदेश को बिजली की जरूरत होगी तो उस प्रदेश से तय करार के मुताबिक बिजली वापस ली जा सके। फिलहाल छत्तीसगढ़, पंजाब और उप्र को बिजली दी जा थी। बिजली कंपनी ने करीब 1500-1800 मेगावाट के बीच बिजली की बैंङ्क्षकग करने की योजना बनाई है।
मेंटीनेन्स के बावजूद खराबी
लाखों रूपये मेंटीनेन्स पर खर्च करने के बावजूद संजय गांधी ताप विद्युत गृह की इकाईयों के बार-बार ठप होने की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। कई बार इसे लेकर प्रबंधन पर गंभीर आरोप भी लगते रहे हैं। फरवरी 2022 मे इस समस्या से तंग आकर ऊर्जा विभाग द्वारा जांच दल मंगठार भेजा गया था। जिसने कई तरह की खामियों को चिन्हित किया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर मुख्य अभियंता को ताप गृह से अलग किया गया था। अब फिर इस इकाई मे वही समस्या आ गई है। सूत्रों के मुताबिक साल 2021 से 2022 के बीच ताप गृह की 500 मेगावाट की इकाई मे सबसे ज्यादा खराबी सामने आई है। इस दौरान करीब 8 बार तो बायलर ट्यूब लीकेज की समस्या आ चुकी है। ऐसा तब हुआ जब इसके रखरखाव मे बीते सालों की तुलना मे सबसे ज्यादा राशि खर्च की गई। यहीं नहीं इसे करीब 68 दिन तक इसी कार्य के लिये बंद भी रखा गया था। एक बार तो 500 मेगावाट की 5 नंबर यूनिट के टरबाइन मे तेज कंपन होने लगा था। जिसके कारण इसे कुछ समय के लिये बंद करना पड़ा था।

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