लोगों को अपने डेटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग की डिटेल मांगने का मिलेगा अधिकार
नई दिल्ली।कैबिनेट ने बुधवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी। इस बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू हो रहा है।बिल में ऐसा प्रोविजन है कि यदि नियमों को तोड़ा तो कंपनियों पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डेटा कलेक्शन,स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा।बिल में पिछले ड्राफ्ट के लगभग सभी प्रोविजन शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने कंसल्टेशन के लिए नवंबर 2022 में जारी किया गया था। प्रस्तावित ड्राफ्ट के तहत सरकारी संस्थाओं को पूरी छूट नहीं दी गई है।नए ड्राफ्ट को लाने से पहले सरकार ने 48 सरकार से बाहर के संगठनों और 38 सरकारी संगठनों से सुझाव लिए। कुल 21 हजार 660 सुझाव आए। इनमें से लगभग सभी पर विचार किया गया।डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम तब शुरू हुआ जब 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ‘राइट टू प्राइवेसी’ एक फंडामेंटल राइट है।विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी।ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो।अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत पर्सनल डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो।
अभी देश में ऐसा कानून नहीं
भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है। मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा की जरूरत थी। कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं।पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित कर सकती है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी।इस दौरान अप्रैल 2023 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।फिलहाल सख्त कानून न होने के वजह से डेटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाती हैं। बैंक, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंश से जुड़ी जानकारियां के आए दिनों लीक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में लोग अपनी डेटा की प्राइवेसी को लेकर डाउट में रहते हैं।
भारत में ऐसा कोई कानून फिलहाल नहीं है। मोबाइल और इंटरनेट के चलन के बाद से प्राइवेसी की सुरक्षा की जरूरत थी। कई देशों में लोगों के डेटा प्रोटेक्शन को लेकर सख्त कानून तैयार किए जा चुके हैं।पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल और दूरसंचार बिल पारित कर सकती है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता जाहिर की थी।इस दौरान अप्रैल 2023 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।फिलहाल सख्त कानून न होने के वजह से डेटा कलेक्ट करने वाली कंपनियां इसका कई दफा फायदा उठाती हैं। बैंक, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंश से जुड़ी जानकारियां के आए दिनों लीक हो जाने की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में लोग अपनी डेटा की प्राइवेसी को लेकर डाउट में रहते हैं।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए एम्प्लॉई की सहमति लेनी होगी
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस मार्क करने के लिए किसी एम्प्लॉई के बायोमेट्रिक डेटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।
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