न राशन की दुकान, न चलने को सडक
बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा ग्राम मझगवां
उमरिया। जिला मुख्यालय से मात्र 4 किलोमीटर दूर बसा करकेली जनपद का ग्राम मझगवां आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। नेशनल हाईवे क्रमांक 43 पर बसे भरौला से कुछ ही दूर स्थित इस गांव मे ना तो राशन की दुकान है और नां ही सडक। मजे की बात यह है कि ग्राम पंचायत खाले कठई अंतर्गत आने वाले मझगवां से ही पिछली तीन पंच वर्षीय से सरंपच चुना जाता चला आ रहा है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत के तीन पंच भी इसी गांव के बाशिंदे हैं, इसके बावजूद उन्होने इन समस्याओं को हल करने के लिये कभी आवाज तक नहीं उठाई। गौरतलब है कि मझगवां आदिवासी बैगा बाहुल्य गांव है, यही कारण है कि वर्षो से उनका शोषण होता चला आ रहा है।
सेल्समैन करता है धांधली
बताया जाता है कि इन आदिवासियों के लिये आये राशन मे भी बडे पैमाने पर गोलमाल किया जा रहा है। सेल्समैन गांव के सीधे-सादे लोगों को राशन के लिये कठई गांव बुलाता है, फिर जो मन पडे राशन देता है। लोगों ने बताया है कि उन्हे कई-कई महीने तक राशन नहीं मिलता, कभी मिलता भी है तो आधा-अधूरा। उन्होने बताया कि इससे पहले कई साल तक राशन की दुकान मझगवां मे संचालित थी, जिसे अब मनमाने तौर पर ग्राम पंचायत मुख्यालय से संचालित किया जा रहा है।
जोखिम मे पड जाती है जान
बताया जाता है कि मझगवां से भरौला हो कर उमरिया की दूरी मात्र 4 किलोमीटर है परंतु सडक खराब होने एवं रेलवे क्रासिंग के कारण यहां चलना दूभर है। ऐसे मे लोगों को लोढा गांव से हो कर करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करना पडता है। कई बार एमरजेंसी या डिलेवरी केस मे खराब सडक के कारण मरीजों की जान पर बन आती है।
आदिवासियों का शोषण रोके प्रशासनः सतोष सिंह
कांग्रेस सेवादल के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ग्राम मझगवां के अािदवासियों की उपेक्षा और शोषण पर दुख व्यक्त करते हुए ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उनकी समस्या का ततकाल निराकरण कराने के सांथ ही राशन वितरण मे धांधली करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाय।
न राशन की दुकान, न चलने को सडक
Advertisements
Advertisements