विकास के लिए छोड़ी जमीनें, अब सरकारी योजनाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण
उमरिया। वर्ष 2013 मे अस्तित्व मे आया एसईसीलए का प्रोजेक्ट मालाचुआ आज भी अधर में है। इस प्रोजेक्ट के कारण न सिर्फ ग्राम पंचायत मालाचुआ बल्कि ग्राम पंचायत औढ़ेरा और ग्राम पंचायत हथपुरा के ग्राम पड़ारी का पूरा विकास थम गया है। न तो यहां खदान शुरू हो रही है और न ही खदान के कारण विकास के दूसरे काम। इस संकट को लेकर तीनों गांवों के लोगों ने हाल ही मे कमिश्नर को भी एक ज्ञापन सौंपा था।
बन रहा था जलाशय
बताया गया है कि मालाचुआ मे जल संसाधन विभाग ने जलाशय निर्माण की शुरूआत की थी, लेकिन बीच मे ही एसईसीएल का प्रोजेक्ट आ गया जिससे निर्माण रोकना पड़ गया। एसईसीएल का प्रोजेक्ट आने के बाद जल संसाधन विभाग ने एसईसीएल जोहिला एरिया के प्रबंधन को पत्र लिखकर मालाचुआ जलाशय योजना मे व्यय हुई राशि की मांग भी की थी। जल संसाधन विभाग ने जलाशय योजना पर 6 करोड़ 27 लाख 53 हजार 52 रुपए व्यय किए थे। योजना प्रभावितों को मुआवजा भी वितरित किया जा चुका था। पिछले वर्ष से अभी तक जल संसाधन विभाग अपनी यह राशि वसूल नहीं पाया है जबकि एसईसीएल के अधिकारियों का कहना है कि जल संसाधन विभाग को उनकी राशि लौटा दी जाएगी पर इसके लिए अभी और वक्त लगेगा। लगभग 17 करोड़ 34 लाख रुपए की यह योजना अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है और एसईसीएल मालाचुआ में खदान शुरू करने की कार्रवाई में लगा हुआ है।
इस पर खर्च हुई राशि
मालाचुआ जलाशय योजना का काम शुरू करने के बाद विभाग ने इस पर 6 करोड़ 27 लाख 5 हजार 352 रुपए की राशि खर्च दी थी। सर्वेक्षण कार्य से लेकर कई कार्यों में इस राशि का उपयोग किया गया। उक्त पैसे से लगभग पांच किमी लंबी नहर भी तैयार कर दी गई थी शेष हिस्सा आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। गांव के लोगों का कहना है कि यदि जलाशय बन जाता तो उन्हें अपनी जमीन सींचने के लिए सुविधा मिल जाती। जल संसाधन विभाग ने एसईसीएल को जो हिसाब सौंपा है उसके अनुसार सर्वेक्षण कार्य पर 58 लाख 3 हजार 2 रुपए, सिविल कार्य अंतिम भुगतान तक 3 करोड़ 50 लाख 51 हजार 33 रुपए, विद्युत यांत्रिकीय पर 2 लाख 53 हजार 953 रुपए, भू अर्जन पर 2 करोड़ 29 लाख 87 हजार 768 रुपए, अन्य व्यय 1 लाख 46 हजार 398 रुपए, सुपरविजन चार्ज 12 प्रतिशत का 39 लाख 95 हजार 98 रुपए शामिल है।
सैकड़ों एकड़ पर लहलाती फसलें
मालाचुआ जलाशय के निर्माण के लिए लगभग 26 हे.भूमि अधिग्रहित की गई थी। जिसमें से 2.95 हे. भूमि जंगल की भी शामिल थी। जंगल की भूमि पर से सैकड़ों पेड़ काटे गए थे, जो वन विभाग ने उठवा लिए थे। उक्त वनभूमि के अलावा 22.62 हे. की निजी रकबे की थी जिसका अधिग्रहण कर लिया गया था। इस भूमि पर जब जलाशय बनता तो लगभग 1152 हे. भूमि की फ सलें लहलहा उठती, लेकिन इससे पहले ही एसईसीएल ने जलाशय के निर्माण पर रोक लगवा दी। अब न तो एसईसीएल अपना प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है और न ही गांव का विकास हो पा रहा है।
एक नजर मे योजना
20 सितंबर 2013 को भारत के राजपत्र मे अर्जन और विकास अधिनियम के तहत यहां खदान की अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद काम बंद हो गया। सिंचाई योजना से मालाचुआ, औढ़ेरा, छिपियाडांड, ददरा, रौगढ़, आमगांव की लगभग 1152 हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी थी।
न जलाशय बना न खदान खुली
Advertisements
Advertisements