नोटबंदी की प्रक्रिया मे नही थी कोई गड़बड़ी

 सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4-1 से सुनाया फैसला, सरकार को राहत
नई दिल्लीकेंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया।पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी  मसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे गजट नोटिफिकेशन की जगह कानून के जरिए लिया जाना था। हालांकि उन्होंने कहा कि इसका सरकार के पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
 संसद के जरिए लागू करनी थी नोटबंदी:जस्टिस नागरत्ना
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- नोटबंदी से पहले सरकार और RBI के बीच बातचीत हुई थी। इससे यह माना जा सकता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था। संविधान पीठ ने सरकार के फैसले को सही तो ठहराया, लेकिन बेंच में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसके लिए अपनाई गई प्रोसेस को गलत ठहराया।
सरकार ने महज 4 घंटे में पुराने नोट अवैध किए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश के नाम संदेश में आधी रात से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था। यानी प्रधानमंत्री की घोषणा के 4 घंटे बाद ही ये पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे।
विरोध में दलील- कानून का गलत इस्तेमाल हुआ
सरकार की तरफ से आनन-फानन में सुनाए गए इस फैसले के खिलाफ देश के अलग-अलग हाईकोर्ट्स में कुल 58 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार ने RBI कानून 1934 की धारा 26(2) का इस्तेमाल करने में गलती की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी की सुनवाई एक साथ करने का आदेश दिया।
सरकार को करेंसी रद्द करने का अधिकार नहीं
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26(2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। यह केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद्द करने का अधिकार देती है, न कि संपूर्ण करेंसी नोटों को।
सरकार खुद फैसला नहीं ले सकती, RBI की सलाह जरूरी
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार खुद ऐसा कोई फैसला नहीं ले सकती और ऐसा केवल RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों पर किया जा सकता है।
केंद्र का जवाब- RBI की सलाह पर लिया फैसला
इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर ही लिया गया था। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा था- नोटबंदी सरकार का बिना सोचा-समझा कदम नहीं था, बल्कि आर्थिक नीति का हिस्सा था। उन्होंने कहा था कि RBI और केंद्र सरकार एक-दूसरे के साथ सलाह-मशविरा करते हुए काम करते हैं।
RBI ने कहा- कानून के मुताबिक हुई नोटबंदी
इधर, RBI ने भी कोर्ट को बताया था कि सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग के दौरान RBI जनरल रेगुलेशंस, 1949 की कोरम से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया था। इस मीटिंग में RBI गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और RBI एक्ट के तहत नॉमिनेटेड पांच डायरेक्टर शामिल हुए थे।
केंद्र का तर्क- काले धन​ से निपटना था मकसद
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा था कि यह जाली करेंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की प्लानिंग का हिस्सा और असरदार तरीका था। यह इकोनॉमिक पॉलिसीज में बदलाव से जुड़ी सीरीज का सबसे बड़ा कदम था।
बेहिसाब आमदनी का पता लगाने में मदद मिली
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नोटबंदी से नकली नोटों में कमी, डिजिटल लेन-देन में बढ़ोत्तरी, बेहिसाब आय का पता लगाने जैसे कई लाभ हुए हैं। अकेले अक्टूबर 2022 में 730 करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन ​​​​​​हुआ, यानी एक महीने 12 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन रिकॉर्ड किया गया है। जो 2016 में 1.09 लाख ट्रांजैक्शन, यानी करीब 6,952 करोड़ रुपए था।
सुप्रीम कोर्ट बोला- सरकार की नीति-नीयत ठीक
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने नोटबंदी को सही ठहराने का फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में सरकार की नीति और नीयत ठीक थी। साथ ही इसके लिए केंद्र सरकार ने RBI से मशविरा भी लिया था। लिहाजा नोटबंदी पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं। हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया था कि नोटबंदी के फायदे-नुकसान के आधार पर वह फैसला नहीं सुना रहा है।
उम्मीद से बेहद कम कालाधन ही बाहर आया
नोटबंदी करते समय सरकार को उम्मीद थी कि नोटबंदी से कम से कम 3 से 4 लाख करोड़ रुपए का काला धन बाहर आ जाएगा। हालांकि, पूरी कवायद में 1.3 लाख करोड़ रुपए का काला धन ही सामने आया। वहीं, नई करेंसी के नकली नोट भी कई जगह पकड़े गए।
9.21 करोड़ कीमत के 2000 के नए नोट गायब
6 साल पहले यानी 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपए के 15.52 लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था से बाहर हुए थे। 2022 के अक्टूबर में एक रिपोर्ट में सामने आया कि नोटबंदी के समय जारी नए 500 और 2000 के नोटों में से अब 9.21 लाख करोड़ गायब हो गए हैं। इनका हिसाब RBI के पास नहीं है।इस मामले में एक बहस तब भी बढ़ी, जब पता चला कि साल 2017-18 के दौरान 2000 के नोट सबसे ज्यादा चलन में रहे, लेकिन इसके बाद अचानक गायब हो गए। फिर जानकारी मिली कि RBI ने 2019 में इनकी छपाई ही बंद कर दी।
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