नागदेवता को अर्पित किया दुग्ध और नैवेद्य

नागदेवता को अर्पित किया दुग्ध और नैवेद्य
नागपंचमी पर घर-घर हुई नाग पूजा, अखाड़ों मे भिड़े पहलवान
उमरिया। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान महाकाल के गले के हार नाग देवता की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उन्हे भोग स्वरूप दुग्ध अर्पित किया गया। शिवालयों मे कल जहां दिनभर भीड़ बनी रही वही घरों मे भी नाग देवता का चिन्हांकन कर स्तुति की गयी। माना जाता है नाग देवता पूरी धरती का भार संभाले हुए हैं जो अनिष्टों से हमारी रक्षा करते हैं और सुख समृद्धि प्रदान करतें हैं। नाग पंचमी के मौके पर परंपरा अनुसार दंगल और अखाड़ेबाजी का आयोजन भी किया गया। भूतभावन भगवान महादेव और विध्रहर्ता प्रथम पूज्य श्रीगणेश के अलंकरण नागदेवता की कल घर-घर मे स्थानिक विशिष्ट विधान से पूजा अर्चना की गयी। इसके अलावा नगर के विभिन्न शिवालयों मे जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया।
कालसर्प दोष निवारण
पुराणों मे नाग पंचमी पर सर्पो की पूजा का विधान है काल सर्प दोष के निवारण के लिए यह दिन उत्तम बताया गया है। कालसर्प योग से ग्रसित जातकों ने कल नाग देवता के विशेष अनुष्ठान किए। नाग पंचमी पर कल सुबह से ही लोगों का शिवालयों मे पहुंचना शुरू हो गया था। श्रृद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ और नागदेवता का अभिषेक कर नागों के नाम से दूध चढ़ाया। इसके अलावा शिवालयों मे लोगों ने चांदी से बने सर्प जोड़ों का दान भी किया। घरों मे भी लोगों ने नाग देवता के चित्र अंकित कर पूजा अर्चना की दूध चढ़ाया और गलतियों के लिए क्षमा याचना की। नही दिखे सपेरे नाग पंचमी के मौके पर मोहल्ले-मोहल्ले और घर-घर पहुंचकर लोगों को नाग देवता के दर्शन कराने और दान लेने वाले सपेरे इस वर्ष कहीं नजर नही आए। स्वछंद विचरण करने वाले नाग को देखकर भय से कांप जाने वाले लोग उनके सहज दर्शन के लिए सपेरों का इंतजार करते रहे। आसपास के क्षेत्रों से सांप पकडऩे वाले सपेरे वन विभाग के दबाव के कारण इस वर्ष बाहर नही निकले। गौरतलब है कि वन विभाग की कार्यवाही के भय से सपेरे अब कम ही नजर आतें हैं।
विलुप्त हो रही दंगल की परंपरा
कोरोना के कारण पिछले दो वर्षो से कुश्ती देखने को नहीं मिली, जबकि इस बार कुछ स्थानो पर पहलवानो की जोर आजमाईश भी हुई। उल्लेखनीय है कि नाग पंचमी के अवसर पर दंगल की पुरातन परंपरा भी अब धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। कुछ वर्ष पहले तक शहर के मुरादगाह एवं रेल्वे स्टेशन चौराहे सहित अनेक स्थानो पर दंगल के आयोजन करवाये जाते थे परंतु इस वर्ष केवल मुरादगाह के समीप ही कुश्ती का आयोजन हुआ। इस मौके पर पहलवानों की पैंतरेबाजी और पटकनी का आनंद लेने भारी तादात मे लोग वहां पहुंचे थे।

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