लीकेज के कारण तालाब बन जाते हैं खेत, हो रही फसलों की बर्बादी
बांधवभूमि, उमरिया
रबी के सीजन में दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में फसल को पानी की आवश्यकता पडऩे लगती है। इसके लिए किसान पूरी तरह से सिंचाई के साधनों पर आिश्रत हो जाता है लेकिन जिले में नहरों का बुरा हाल किसानों के लिए कई बार मुश्किल पैदा कर देता है। उमरिया जिल मुख्यालय मे स्थित उमरार जलाशय से निकली नहर ही इतनी जर्जर है कि पानी सभी खेतों तक नहीं पहुंच पाता। लीकेज के कारण खेतों में पानी का भराव हो जाता है। इससे कई तरह की समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ता है।
रबी की फसल होती प्रभावित
किसानो ने बताया कि नहरों के जर्जर हालत की वजह से सिचाई के लिये छोड़ा जाने वाला ज्यादातर पानी रास्ते मे ही बह जाता है। कई बार पानी खेतों मे भी भर जाता है। जिसके कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। यह दिक्कत हर साल रबी की सीजन मे आती है। इस संबंध मे शिकायतें करने के बावजूद नहरों की मरम्मत नहीं कराई गई है। किसानों का आरोप है कि विभाग द्वारा इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
रबी के रकबे मे बढ़ोत्तरी
जिले मे अच्छी खासी बारिश होने के चलते इस बार प्राकृतिक स्त्रोतों का जल स्तर बढ़ा है। चूंकि रबी की फसलें आज भी असिंचित क्षेत्र नदी-नालों और तालाब से लगे क्षेत्रों मे ज्यादा होती हैं। यहीं कारण है कि विभाग इस बार रबी का रकबा तकरीबन छह प्रतिशत बढ़ कर 70 हजार हेक्टेयर होने की संभावना जता रहा है। निर्धारित लक्ष्य के अनुपात मे अभी तक फील्ड की स्थिति ठीक बताई जा रही है।
मरम्मत और सफाई की दरकार
जल उपभोक्ता संस्था के सदस्य और अध्यक्ष भी नहरों की मरम्मत नहीं होने की बात स्वीकार कर रहे हैं। पाली जनपद क्षेत्र के ग्राम महरोई निवासी और जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह का कहना है कि बरूहा जलाशय की नहरें बुरी तरह से जर्जर हो गई हैं, जिससे पानी सभी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसी तरह मानपुर जनपद क्षेत्र के महरोई निवासी किसान विनय चतुर्वेदी का कहना है कि यहां कि नहरें ठीक हैं लेकिन जिन स्थानों पर नहरें खराब हो गई हैं वहां मरम्मत जरूरी है। यहा के जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष शिवप्रसाद यादव का कहना है कि नहरों की सफाई की जानी चाहिए।
अधिकारी कर रहे निरीक्षण
जल संसाधन विभाग के ईई सरोज सिंह ठाकुर का कहना है कि जहां भी नहरों के खराब होने की जानकारी सामने आई है, वहां का निरीक्षण कराया जा रहा है। जिसके बाद आवश्यक कदम उठाए जायेंगे। उन्होंने बताया कि नहरों का रखरखाव जल उपभोक्ता संस्था को करना होता है, लेकिन इन संस्थाओं के सदस्य जरूरी सहयोग नहीं करते, जिससे कई बार परेशानी हो जाती है। वहीं नहरों के किनारे बनाए गए अवैध रास्तों के कारण समस्या बढ़ गई है। इन रास्तों से भारी वाहन भी निकाले जा रहे हैं। गांव के लोगों को ऐसा करने वालों का विरोध करना चाहिए पर कोई भी सामने नहीं आता।
नहरों की बदहाली बरकरार
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