नर्स आंदोलन से चरमराई स्वास्थ्य सेवायें

नर्स आंदोलन से चरमराई स्वास्थ्य सेवायें
चौथे दिन भी जारी रही हड़ताल, सरकार का अपग्रेड दांव भी हुआ बेकार
उमरिया। राज्य शासन द्वारा नसिंग कर्मचारियों को अपग्रेड करने के बावजूद वे काम पर लौटने को राजी नहीं हैं। नर्सिंग संगठन का कहना है कि जब तक सभी मांगें नहीं मानी जाती, उनकी हड़ताल जारी रहेगी। उल्लेखनीय है कि अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर जिले की समस्त स्टाफ नर्स विगत 30 जून से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं। हलांकि इसमे एएनएम और संविदा नर्स शामिल नहीं हैं। विगत दिनो शासन द्वारा बीएसी नर्स को आफीसर तथा बीएनएम को नर्सिंग आफीसर का दर्जा देने की घोषणा की गई थी परंतु संघ इससे संतुष्ट नहीं है। सभी हड़ताली कर्मचारी अपनी मागों को लेकर अड़े हुए हैं।
यह हैं प्रमुख मांग
गौरतलब है कि जिले मे कुल 114 स्टाफ नर्स हैं। जो अपनी 12 सूत्रीय मांगों के लिये आंदोलनरत हैं। इनकी मांगों मे प्रमुख रूप से अन्य राज्यों के समान वेतन, रात्रिकालीन ड्यूटी का एलाउन्स, कोविड मे मृत नर्सेस को सम्मान, उनके परिजनो को मुआवजा तथा आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति, संविदा कर्मियों का नियमितीकरण, पूरूष नर्सो की भर्ती आदि शामिल हैं।
टीकाकरण का काम प्रभावित
नसों की हड़ताल ऐसे समय पर हो रही है जब जिले मे कोरोना वैक्सीन जैसा महत्वपूर्ण कार्य चल रहा है। बताया जाता है कि स्टाफ नर्सों के काम से विरक्त रहने के कारण टीकाकरण भी प्रभावित हो रहा है। हलांकि वेक्सीन के कमी के कारण इस असर थोड़ा कम ही पड़ रहा है।
बच्ची को भुगतना पड़ा खामियाजा
हड़ताल के कारण मरीजों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हे समय पर ना तो दवा मिल रही, नां ही देखरेख हो पा रही है। इसी वजह से बीते दिनो चंदिया निवासी समय लाल की 8 मांह की बच्ची को अपनी जान से हांथ धोना पड़ा। परिजनो का आरोप है कि तबियत खराब होने के कारण वे बच्ची को अस्पताल लेकर गये थे, परंतु उसकी सुध लेने वहां कोई मौजूद नहीं था। थोड़ी देर मे मासूम की मौत हो गई।

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