धूप, गर्मी पर भारी बिजली का प्रकोप
जिले भर मे हालात बदतर, गुस्से से उबल रहे किसान और नागरिक
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे पड़ रही उमस भरी भीषण गर्मी और बिजली के प्रकोप ने जनजीवन पूरी तरह से अस्तव्यस्त कर दिया है। आलम यह है कि मुख्यालय मे ही सुबह की शुरूआत बत्ती गुल के सांथ होती है। यह क्रम दिन और रात मे भी जारी रहता है। ग्रामीण अंचलों मे तो हालात और भी बदतर हैं। जहां 20-20 घंटे आपूर्ति ठप्प रहती है। महीनो से सैकड़ों ट्रांसफार्मर जले हुए हैं, इनमे अधिकांश बिल जमा नहीं होने से नहीं बदले जा रहे हैं। कई स्थानो पर लोड बढऩे की वजह से बदलते ही ट्रांसफार्मर धुंआं छोड़ देते हैं। बिजली न मिलने से कई गांव अंधेरे मे डूबे हुए हैं। पंप न चलने के कारण फसलें सूख रही हैं, वहीं पंखे-कूलर के बिना लोगों का समय काटना मुश्किल है। इन परिस्थितियों से जनता मे आक्रोष लगातार बढ़ रहा है। जो कभी भी उग्र रूप ले सकता है।
दम तोड़ रही बाबा आदम के जमाने की लाईने
सूत्रों के मुताबिक जिले के हर शहर, गांव और कस्बे मे उपभोक्ता तो निरंतर बढ़ रहे हैं परंतु व्यवस्थायें उतनी की उतनी हैं। और तो और सामान्य जरूरत के उपकरण भी मुहैया नहीं हो पा रहे हैं। लिहाजा कर्मचारियों को बाबा आदम के जमाने की लाईनो और साजो-सामान से काम चलाना पड़ रहा है। जो मौके पर दम तोड़ देती हैं। जानकारों का कहना है कि जिस गांव मे कभी 25 केवी का ट्रांसफार्मर पर्याप्त था, वहां अब 200 केवी की जरूरत है, लेकिन ना तो लाईनो का विस्तार हुआ और नां ही ट्रांसफार्मर की कैपेसिटी ही बढ़ी। ऊपर से मानसून की बेरूखी की वजह से खपत मे और बढ़ोत्तरी हो गई है।
कोप का भाजन बनते मण्डल के अधिकारी
इन परिस्थितियों मे सबसे ज्यादा मुश्किल मण्डल के अधिकारियों की है, जो आये दिन जनता के गुस्से का शिकार तो हो रहे हैं पर खुल कर यह नहीं कह सकते की विभाग के पास इस समस्या से निपटने का कोई इंतजाम नहीं है। जबकि सच्चाई यही है कि कनेक्शनों की बढ़ती संख्या के अनुसार नये सब स्टेशनो से लेकर ट्रांसफार्मर तथा अन्य सामग्री का बंदोबस्त शासन स्तर से किया जाना है। कई अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विभाग फाल्ट सुधार कार्य के लिये भी आऊटसोर्सिग पर निर्भर हैं। इस काम के लिये स्टाफ का इंतजाम ठेकेदार के जरिये होता है। इतना ही नहीं मण्डल के पास खंबे पर चढऩे वाले कर्मचारी तक उपलब्ध नहीं हैं।
खौल रहा खेतों का पानी
दूसरी ओर औसत बारिश न होने के चलते खेतों से नमी गायब हो चुकी है। अवर्षा से तरह-तरह के रोग और कीट पैदा हो चुके हैं। इससे फसलें खराब हो रही हैं। हालात यह हैं यदि 15 सितंबर तक बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है अवर्षा से खरीफ के साथ रबी की फसलों को भी काफी नुकसान होगा। इसका असर गेहूं, चना और सरसों की फसल पर भी पड़ेगा। चिलचिलाती धूप के कारण तापमान बढ़ रहा है। गर्मी इतनी ज्यादा है कि धान के खेत मे जमा पानी खौल रहा है, जिससे कोमल पौधे कुम्हला रहे हैं।
बंगाल की खाड़ी मे सक्रिय हो रहा सिस्टम
इधर गर्मी से जूझ रहे नागरिकों के लिये एक अच्छी खबर है। मौसम विभाग ने आगामी सप्ताह मे नये सिस्टम के सक्रिय होने और उसके असर से झमाझम की उम्मीद जताई है। विभाग की मानें तो बंगाल की खाड़ी मे नया सिस्टम सक्रिय हो रहा है, जो छह-सात सितंबर तक कम दबाव के क्षेत्र मे परिवॢतत हो जाएगा। जिससे जबलपुर सहित अन्य संभागों के जिलो मे वर्षा हो सकती है।
बताया गया है कि पिछले चार दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है और धीरे-धीरे हवा मे नमी कम हो रही है। सूर्यदेव के बल पर पारा इतरा रहा है। हवाओं की दिशा भी बदल गई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश का सीजन 30 सितम्बर तक है। लिहाजा मानसून एकाध बार और सक्रिय हो सकता है।