द्वारकाधीश का विशेष श्रृंगार

सोने के तारों से बनी पोशाक, पन्ना, पुखराज और हीरे से सजा मुकुट, 50 कारीगरों ने 6 महीने में तैयार किया

नई दिल्ली।  श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व ‘जन्माष्टमी’ पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर में कन्हैया के श्रृंगार के लिए लिए ‘दिव्य’ पोशाक और मुकुट तैयार किया गया है। प्योर सिल्क की सोने की जरी वाली पोशाक में हीरे जड़े गए हैं।वहीं, उनके मुकुट में पन्ना, पुखराज, माणिक और हीरे जैसे कई कीमती रत्न जड़े हुए हैं। भगवान श्रीकृष्ण को यह पोशाक और मुकुट रात को 12 बजे उनके जन्मोत्सव के बाद पहनाया जाएगा।

जन्माष्टमी पर करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु आते हैं द्वारका
गुजरात में स्थित द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी कहा जाता है। द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण के कई मंदिर हैं, लेकिन मुख्य द्वारकाधीश मंदिर में मनाई जाने वाली जन्माष्टमी की बात ही अलग होती है। जन्माष्टमी का दिन यहां बेहद खास होता है। एक अनुमान के मुताबिक जन्माष्टमी के दिन दुनियाभर से करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु जन्माष्टमी मनाने द्वारका पहुंचते हैं।

चार पीठों में से एक है द्वारका
द्वारका चार पीठों में से एक है। मुख्य मंदिर है द्वारका जगत मंदिर। माना जाता है कि 400 ईसा पूर्व भगवान श्रीकृष्ण के वंशज वज्रनाभ ने इसका निर्माण कराया था। द्वारका भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर 52 गज की ध्वजा दिन में तीन बार चढ़ाई जाती है। श्रद्धालुओं को यहां ध्वजा चढ़ाने के लिए अपनी बारी आने में दो-दो साल तक का इंतजार करना पड़ता है।

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