दीपावली पर जगह-जगह बिकती रही शराब
माफियाओं को क्षेत्र सौंप गृह भ्रमण पर निकले आबकारी निरीक्षक, बेवड़ों ने की आफत
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
दीपावली पर शराब माफियाओं ने जम कर चांदी काटी। बताया गया है कि रविवार को त्यौहार की रात से ही अवैध शराब की बिक्री शुरू हो गई थी, जो सोमवार और मंगलवार तक जारी रही। इस दौरान जगह-जगह माल उपलब्ध था। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो जिले मे शराब बेचने पर किसी को कोई पाबंदी ही न हो। शैकीनो को ठेके तक जाने की भी जहमत नहीं उठानी पड़ रही थी, सडकों के किनारे पान ठेले, होटल, तो मोहल्लों की किराना दुकानो, यहां तक माटरसाईकिलों पर घूम-घूक कर दारू बेंची गई। जिला मुख्यालय और आसपास के इलाकों मे इस तरह का मंजर शायद ही पहले कभी देखा गया था।
आबकारी विभाग नदारत
लोगों का कहना है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों और माफियाओं की सांठगांठ से दीपावली पर्व पर लाखों रूपये की अवैध शराब बेंची गई। जानकारी के मुताबिक इसकी तैयारी त्यौहार से पहले ही कर ली गई थी। करीब दो दिन पहले ही पैकारी कर अवैध शराब उमरिया वृत के आसपास के चिन्हित ठीहों तक पहुंचा दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ महीनो से यह क्षेत्र शराब के अवैध कारोबार का मुख्य केन्द्र बन गया है। इस गौरखधंधे मे खुद विभाग के अधिकारी ही शामिल हैं। उन्ही के इशारे पर माफियाओं के गुर्गे सारा काम फिट कर देते हैं। शराब के काले धंधे मे गरीब और मध्यम वर्ग के बेरोजगार युवाओं को झोंक दिया गया है। जिनका पूरा कैरियर चंद पैसों की लालच मे चौपट हो रहा है। वहीं बेवड़ों के उत्पात से लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
तिवारी जी पर प्रभावी नहीं है आचार संहिता
बताया जाता है कि उमरिया वृत का प्रभार आबकारी उप निरीक्षक दिनकर तिवारी के पास है। जिन पर उमरिया मे चल रहे अवैध शराब के कारोबार मे संदिग्ध भूमिका होने के आरोप लगते रहे हैं। जब इस संबंध मे चर्चा का प्रयास किया गया तो उन्होने साफ तौर पर बताया कि वे अवकाश पर अपने घर सतना आये हैं। लौट कर देखा जायेगा। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के कारण जिले मे आचार संहिता प्रभावी है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी द्वारा अवकाश पर रोक लगा दी गई है, ऐसे मे दिनकर तिवारी को छुट्टी कैसे मिल जाती है। यदि वे बिना अनुमति के गृह भमण के लिये गये, तो क्या उनका यह कृत्य आचार संहिता का उल्लंघन और अनुशासनहीनता की श्रेणी मे नहीं आता।
गरीबों पर चलता है विभाग का हंटर
जिला मुख्यालय और आसपास के इलाकों मे शराब के बढ़ते अवैध कारोबार के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कोई भी दुकानदार यह धंधा अपना सकता है। बस इसके लिये उसे इस क्षेत्र के प्रभारी से सेटिंग करनी होगी। सूत्रों का दावा है कि इस काम मे अधिकारियों का हर महीने लाखों रूपये की कमाई होती है। जब भी अवैध शराब को लेकर कोई बात उठती है, अमला तत्काल कार्यवाही मे जुट जाता है। जिसमे विभाग का हंटर माफियाओं पर नहीं बल्कि परंपरागत घरों मे कच्ची शराब या महुआ लाहन बनाने वाले गरीबों पर ही चलता है।