दिल्ली की सरहद पर बाड़बंदी

अलग-अलग सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा, हर ओर बैरिकेटिंग के साथ लगाई गई कीलें

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों को दो महीने से अधिक हो गया है। केंद्र सरकार लगातार बातचीत के रास्ते खुले होने की बात कह रही है, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर बेहद ही कड़ी सुरक्षा भी की जा रही है। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पुलिस द्वारा बाड़ेबंदी की गई है, जहां बैरिकेडिंग लगाई गई है और साथ ही कीलें भी लगा दी गई हैं। इस सबके बीच किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि वो नंबर उन्हें चाहिए जिसपर सरकार ने कहा है कि वो एक फोन कॉल ही दूर हैं। राकेश टिकैत बोले कि जब वो पहले दिल्ली जा रहे थे, तब भी रास्तों में कीले लगाई गई थीं। अब हमें दिल्ली जाना ही नहीं है, तो फिर कील क्यों लगा रहे हैं इससे जनता को परेशानी होगी।
भाकियू के नेता राकेश टिकैत बोले कि जितने जनता के रास्ते बंद होंगे, उतना ही लोगों को पता लगेगा कि कौन किसके लिए कील लगा रहा है। ये रोटी को संदूक में बंद करने की साजिश है, ये जनता जान चुकी है। राकेश टिकैत बोले कि 6 फरवरी को जो बंद किया जाएगा, उसमें पब्लिक को परेशान नहीं किया जाएगा। किसानों की महापंचायत में लगातार नेताओं की एंट्री पर राकेश टिकैत ने कहा कि ये तो मेला है, जहां हर कोई आ रहा है। लेकिन कोई यहां पर आकर वोट तो नहीं मांग रहा है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तो अब अक्टूबर-नवंबर तक जाएगा क्योंकि एक कहावत है कि जो मेले में खोता है वह मेले में ही मिलता है, तो 4-5 दिन में मामला सुलझा नहीं तो पूरे एक साल तक जाएगा।
कीलें और नुकीले सरिए बिछाए
प्रदर्शनकारी दिल्ली में न घुस पाएं, इसके लिए पुलिस कई जतन कर रही है। सिंघु, टीकरी बॉर्डर पर बैरिकेडिंग की जा रही है। दिल्ली-हरियाणा को जोडऩे वाले सिंघु में 4 लेयर की बैरिकेडिंग के साथ सीमेंट के अवरोधकों के बीच लोहे की छड़ें लगाई जा रही हैं। इस पर सवाल उठे तो दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे हैरानी है 26 जनवरी को पुलिस पर हमला किया गया, बैरिकेड्स तोड़े गए, तब किसी ने कोई सवाल नहीं किया। हमने सिर्फ बैरिकेडिंग मजबूत की है, ताकि इसे दोबारा न तोड़ा जा सके।
टीकरी पर 4 लेयर में बैरिकेडिंग की गई
टीकरी पर पहले 4 फीट मोटी सीमेंट की दीवार बनाकर 4 लेयर में बैरिकेडिंग की गई, अब सड़क खोदकर उसमें नुकीले सरिया लगा दिए गए हैं। मार्ग पर रोड रोलर भी खड़े किए गए हैं। ट्रैक्टर पर सवार किसान अगर नुकीले सरिया पार कर दिल्ली में घुसने की कोशिश करेंगे, तो कीलों की वजह से गाड़ी पंक्चर हो जाएगी।
किसानों के केस लड़ेगी पंजाब सरकार
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी के नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन, कृषि कानूनों और गणतंत्र दिवस के दिन की दिल्ली में हुई घटनाओं के बाद पंजाब सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में गिरफ्तार किए गए पंजाब के किसानों का केस राज्य सरकार लड़ेगी। इसके लिए 40 वकीलों की टीम भी बना दी गई है। बैठक में कांग्रेस के नेताओं के साथ-साथ शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी सहित अन्य दलों के नेता भाग ले रहे हैं।

लोस-रास में किसानों की लड़ाई शुरू, दिन भर चला हंगामा
राजधानी दिल्ली में बजट सत्र में बजट पेश होने के बाद सीमा पर डटे किसानों के आंदोलन में जहां चाक-चौबंद सुरक्षा की तेजी दिखाई दे रही है। संसद में भी किसानों की लड़ाई शुरू हो गई है। मंगलवार को राज्यसभा में विपक्षी दलों ने किसानों की मांग पर चर्चा के लिए जमकर नारेबाजी की। सरकार विरोधी नारे लगाए और कृषि कानून वापस लेने की आवाज उठाई। लेकिन चर्चा नहीं की गई। सुबह से ही हंगामा होता रहा और तीन बार कार्यवाही स्थगित होने के बाद दोपहर 12.30 बजे जब सदन शुरू हुआ तो फिर जय जवान, जय किसान के नारे लगने लगे। ये हंगामा देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार सुबह 9 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा की कार्यवाही पांच बजे फिर शुरू हुई। इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने फिर से किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान 150 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। ऐसा लगता है कि हम फिर से ब्रिटिश काल में जा रहे हैं। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार किसान संगठनों से बात कर रही है। वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार संसद के अंदर और बाहर किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। आज के प्रश्नकाल में भी किसान के मुद्दे से जुड़े कई सवाल हैं। लेकिन विपक्ष सदन की कार्यवाही का समय बर्बाद कर रहा है।

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