दस का नोट दिखा कर पार हो रही रेत

दस का नोट दिखा कर पार हो रही रेत

सरकार को लाखों का चूना, विस्टा कम्पनी के तमाशबीन बने अधिकारी

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश, उमरिया
जिले मे एक बार फिर सफेद रेत का काला कारोबार चर्चाओं मे है। इसका मुख्य कारण ठेकेदार द्वारा की जा रही मनमानी है, जो सरकार को रोजाना लाखों रूपये का चूना लगाने के सांथ वन, पर्यावरण और नदियों को तबाह करने पर उतारू है। सूत्रों के मुताबिक इस बार पूरे जिले से रेत खोद कर बेंचने का ठेका किसी विस्टा ग्रुप ने हथियाया है। ऐसा लगता है कि यह कम्पनी एक-दो महीने मे ही सारा हिसाब बराबर करना चाहती है। यही वजह है कि उसने पूरी की पूरी कमाई हड़पने का ऐसा तरीका अपनाया है, जो अद्भुत ही नहीं आश्चर्यजनक भी है। जानकारी मिली है कि विस्टा कम्पनी के वाहन रेत के सांथ एक दस का नोट लेकर चलते हैं। रास्ते मे मिलने वाले खनिज और पुलिस विभाग के सिपाही इस नोट को देखते ही दो कदम पीछे हट कर चालक को रास्ता दे देते हैं। बताया जाता है कि रेता खाली करने के बाद कम्पनी के नुमाईन्दे वह नोट वापस ले लेते हैं। लोगों का दावा है कि यह पूरा कारोबार बिना टीपी के चल रहा है और सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी सेठों के पेट मे जा रही है। अनुमान है कि अभी तक इस गोरखधंधे से सरकार के खजाने को करोड़ों रूपये की चपत लग चुकी है।

विभाग की शह पर चल रही धांधली
विभागीय अमला रेत का छोटा-मोटा परिवहन करने वाले ट्रेक्टरों को पकडऩे मे तो जान की बाजी लगाता है, परंतु करोड़ों का वारा-न्यारा करने वाली कम्पनी के वाहनो को देखते ही सेल्यूट की मुद्रा मे आ जाता है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का दावा है कि दस के नोट वाला सारा खेल मे खनिज विभाग के अधिकारियों की फुल रजामंदी है। इतना ही नहीं कम्पनी द्वारा जारी दसरूपे का सीरियल नंबर भी महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही प्रसारित हो जाता है।

आसमान छूने लगे दाम
जबसे विस्टा कम्पनी को ठेका मिला है, रेत के दाम आसमान छूने लगे हैं। बताया जाता है कि कम्पनी के लोग 3 घन मीटर याने एक ट्राली रेत की टीपी का 4000 रूपये वसूल रहे हैं। जिसके कारण इसकी कीमत 5500 रूपये पार जा पहुंंची है। इससे पहले तक इतने ही माल की टीपी का महज 2000 रूपये लगता था, वहीं रेत आसानी से 3500 रूपये मे मिल जाती थी। जिले मे मची इस लूट का सीधा असर निर्माण और विकास के कार्यो पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी प्रधानमंत्री आवास के हितग्राहियों को हो रही है, जिनका सारा अनुदान रेत की मंहगाई की भेंट चढ़ रहा है।

कराह रहीं सोन और महानदी


रेत की ठेका कम्पनी ने जिले मे अराजकता पैदा कर दी है। नियम के अनुसार ठेकेदार को पहले से निर्धारित खदानो मे ही खनन करना है, परंतु इस विस्टा के लिये सबै भूमि गोपाल की है। बताया जाता है कि कम्पनी के डंपर और जेसीबी सीधे सोन और महानदी जैसी जीवन रेखा मानी जाती नदियों की धार मे उतर कर खनिज का उत्खनन और परिवहन कर रहे हैं। इतना ही नहीं नेशनल पार्क और विन विभाग के प्रतिबंधित क्षेत्रों से खुलेआम खनन किया जा रहा है। कम्पनी की इस भीषण मनमानी पर एनजीटी से लेकर सभी विभागों के आला अधिकारी मौन हैं। जबकि इससे नकेवल नदियां खाईयों मे तब्दील हो रही हैं, बल्कि वन, वन्यजीव और पर्यावरण के अस्तित्व भी संकट मे पड़ गया है।

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