नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा कि इसके कोई संकेत नहीं हैं, कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को नुकसान पहुंचाएगी। दरअसल एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हम सभी ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसकारण अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण ज्यादा देखा जाएगा। हालांकि तैयारी रखनी होगी। लोगों को लग रहा है कि अब तक बच्चे ज्यादा प्रोटेक्टेड हैं घरों में, जब स्कूल, कॉलेज शुरु होगें, बच्चे आपस में मिलते हैं, तब शायद केस बढ़ सकते हैं। लेकिन अब तक के डाटा के मुताबिक ज्यादातर केस में बच्चों को दाखिले की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स निदेशक ने स्वीकार किया कि स्वस्थ बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण दिखे हैं। उन्होंने कहा कि कोविड की पहली और दूसरी लहर में बच्चों को मानसिक तनाव, स्मार्टफोन की लत, शिक्षा की चुनौतियों के कारण एक साथ कई नुकसान का सामना करना पड़ा है। दूसरी ओर पिछले एक महीने में एम्स में कोविड से हुई मौतों का विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि दोनों लहर में एक जैसी मौत हुई हैं। यानी 45 साल से अधिक और अन्य गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों की ज्यादा मौत हुई है। विदेशी कंपनियों से वैक्सीन आयात के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि फाइजर और मॉडर्ना की बुकिंग पहले ही कई देशों कर रखी है, इसकारण फिलहाल उनके पास स्टॉक नहीं है।भारत सरकार लगातार उनके संपर्क में है। जैसे वैक्सीन कंपनियों के साथ वैक्सीन खरीद को लेकर बात होगी, केंद्र सरकार द्वारा इसकी जानकारी राज्यों को दी जाएगी।
देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर लव अग्रवाल ने कहा कि पिछले 17 दिन से भारत में कोविड-19 के दैनिक मामलों में लगातार कमी आ रही है। पिछले 15 हफ्ते में कोविड-19 की जांच में 2.6 गुणा वृद्धि हुई है और पिछले दो हफ्ते से साप्ताहिक संक्रमण दर में कमी आ रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि 7 मई को देश में 4 लाख 14 हजार केस था, आज 2 लाख 22 हजार केस हैं, जोकि 40 दिन में सबसे कम केस हैं।
तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगी इसके अभी कोई प्रमाण नहीं: गुलेरिया
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