टीके के नाम पर क्यों भड़क रहे ग्रामीण

टीके के नाम पर क्यों भड़क रहे ग्रामीण
कौडिय़ा के बाद धनवार मे सर्वे टीम के सांथ अभद्रता, आये दिन हो रहा विवाद
उमरिया। जिले मे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये किल कोरोना अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम घर-घर मे खांसी, बुखार और जुखाम के मरीजों को चिन्हित कर उन्हे इलाज और वैक्सीन लगावाने के लिये प्रेरित किर रही है। शुरूआत से ही इस टीम को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विशेष कर ग्रामीण अंचलों मे उनके सांथ अभद्रता और मारपीट की कोशिश तक की जा रही है। करकेली जनपद के ग्राम कौडिय़ा के बाद सोमवार को धनवार मे हुई घटना अपने आप मे कई प्रश्नचिन्ह खड़े करती है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना के टीके को लेकर ग्रामीण भड़क उठते हैं। उनका साफ तौर पर यह कहना है कि यह टीका खतरनाक है, इससे बुखार आता है और लोगों की मौत हो जाती है। जैसे ही दल के लोग उन्हे समझाईश देने का प्रयास करते हैं, वे उखड़ पड़ते हैं। अब सवाल उठता है कि गांव के लोग वैक्सीन को लेकर क्यों भड़क रहे हैं। उनके दिमाग मे कौन सा फितूर बैठ गया है और इसे कैसे दूर किया जा सकता है। क्योंकि यह तय है कि जब तक जिले मे शत-प्रतिशत टीकाकरण नहीं होगा, कोरोना से निजात संभव नहीं है।
वैक्सीनेशन से दूर भाग रहे लोग
केवल कौडिय़ा और धनवार ही नहीं पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के यही हालात हैं। स्वास्थ्य अमला उन्हे कितना ही समझाने की कोशिश करे पर वे बस एक ही रट लगाये हुए हैं, कि हम टीका नहीं लगावायेंगे। शहरी इलाकों मे भी अधिकांशत: लोग वैक्सीनेशन से दूर भाग रहे हैं। विशेषकर 45 वर्ष से ऊपर के नागरिक इसे लेकर बेहद उदासीन हैं। जबकि 18 से 44 आयु के लिये अभी ज्यादा सत्र चालू नहीं हुए हैं, सांथ ही इस वर्ग का लक्ष्य भी बेहद कम है। जिससे अभी उनकी दिलचस्पी के संबंध मे ज्यादा जानकारी सामने नहीं आ पा रही है। हलांकि पूरे जिले का हाल देखें तो वैक्सीनेशन की मंथर गति भी यही साबित करती है।
सर्वे दलों मे घबराहट
ग्रामीणो के रूख को देखते हुए सर्वे दल के लोगों मे घबराहट की स्थिति बन गई है। जानकारों का मत है कि कोरोना सर्वे के काम मे निचले कर्मचारियों को तो जूझने के लिये मैदान मे उतार दिया गया है, लेकिन अचानक विवाद होने पर उन्हे बैक सपोर्ट नहीं मिल रहा है। कई बार तो टीम के सदस्यों की जान पर ही बन आती है और उन्हे हांथ-पांव जोड़ कर अपना पिण्ड छुड़ाना पड़ता है। इसके लिये जरूरी है कि टीम को पुलिस सुरक्षा मिले। सांथ ही इस तरह के गांवों को चिन्हित कर वहां बड़े अधिकारियों को मोर्चा संभालना चाहिये।
दूर करेंगे भ्रांतियां
सभी को यह समझाना चाहिये कि मास्क, सोशल डिस्टेन्सिंग और टीका ही उन्हे कोरोना से सुरक्षित रख सकता है। इसमे कोई जोखिम नहीं है। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के मन मे जो भी भ्रांतियां हैं, उन्हे दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। सांथ ही लोगों टीका न लगवाने के दुष्परिणामो के संबंध मे भी बताया जा रहा है।
संजीव श्रीवास्तव
कलेक्टर, उमरिया

 

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