झूमती निकली बाबा हुजूर की सवारी

मोहर्रम पर दुआओं से मालामाल हुआ शहर, फिर दिखी सांप्रदायिक एकता की मिसाल
बांधवभूमि, उमरिया
इमाम हुसैन की शहादत को याद दिलाने वाला मातमी पर्व मोहर्रम कल जिला मुख्यालय सहित जिले भर मे परांपरिक श्रद्घा के सांथ मनाया गया। इस्लामी कलेण्डर के पहले महीने की पहली तारीख से ही मोहर्रम की तैयारियां शुरू कर दी गई थी। इस मौके पर जहां बाबा हुजूर के दीवानो ने शेर बनकर शहर मे गस्त और इमाम बाड़े मे हाजिरी लगाना शुरू कर दिया था। वहीं ताजियादार ताजियों के निर्माण मे जुट गये थे। मस्जिदों मे मजलिस और घरों मे कुरानख्वानी की जा रही थी, सबको मोहर्रम के मुकद्दस दिन का बेसब्री से इंतजार था। कत्ल की रात बाबा हुजूर की सवारी इमाम बाड़े मे तशरीफ लाई और शहर का गस्त कर जायरीनो को ताकीद दी, बाद गस्त बाबा हुजूर ने मुरादगाह पहुंचकर लोगो को मुराद दी और मस्जिद मे हाजिरी के बाद सवारी वापस इमाम बाड़ा पहुंची। कल शाम लगभग 4:20 बजे बाबा हुजूर की सवारी इमामबाड़े से निकलकर शहर का गश्त करना शुरू किया, लोग बेसब्री से सवारी का इंतजार कर रहे थे। सड़कों पर कहीं पांव रखने की जगह नही थी यहां तक कि बाउंड्रीवालों और भवनो की छतो मे भी लोगो की खचाखच भीड़ नजर आई। अपनी तकलीफों से निजात और बाबा हुजूर की इक दुआ पाने के लिए हजारो लोग सुबह से ही मुरादगाह मे कतारबद्घ खड़े थे, इमाम बाड़ा से बाबा हुजूर की सवारी जैसे ही मुरादगाह मे तशरीफ लाई पूरा वातावरण या हुसैन, या हुसैन के नारों से गुंजायमान हो उठा।
मस्तानी चाल, थिरकते मुजावर
मोहर्रम के मौके पर बाबा हुजूर की सवारी जब शहर की सड़कों से होकर गुजरती है तो उनकी शानो शौकत देखते ही बनती है। उनकी मस्तानी चाल से लोग बरबस ही अभिभूत हो जाते है, बाबा की चाल, थिरकते मुजावर और बैंडबाजों की धुन वातावरण मे ऐसा समा बांध देती है कि लोग बस इसे अपनी आंखो मे बसा लेना चाहते हैं। बाबा अपनी मर्जी के मालिक हैं उनकी सवारी मे गजब की तेजी होती है, वे कब और कहां रूक जाये यह कहा नही जा सकता। कहा जाता है कि कई बार ऐसे मौके भी आये हैं जब दीदार से वंचित और निराश होकर लौटते जायरीनो को उन्होने खुद बुलाकर अपनी नेमत बक्शी है। यह उमरिया वाले बाबा की दरिया दिली ही है जो आकस्मात लोगो को यहां खीच लाती है।
अखाड़ेबाजी और लंगरे आम
मातमी पर्व के मौके पर कलाबाजों द्वारा अपने साहसिक करतबों का बेहतरीन नमूना पेश किया गया, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा। पूरे समय तक शहर की सड़कों पर ढोल, ताशे और नगाड़े बजते रहे। इस मौके पर शहर मे एक मेला भी भरता है जहां लोग मनचाही खरीददारी करते है, आसपास के क्षेत्रों और बाहर से आने वाले जायरीनो के लिए विभिन्न समाजिक संस्थाओं और मोहर्रम कमेटी द्वारा जगह-जगह चाय का वितरण और लंगरेआम किया गया। शहर मे शांति व्यवस्था चुस्त और दुरूस्त रखने के लिए भारी तादात मे पुलिस बल तैनात किया गया था। मोहर्रम का त्यौहार चंदिया, पाली, नौरोजाबाद आदि जिले भर मे मनाया गया।

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