जिले के जंगलों मे होगी गिद्धों की गणना

जिले के जंगलों मे होगी गिद्धों की गणना
नेशनल पार्क सहित अन्य इलाकों मे खंगाले जायेंगे घोंसले, इस बार आंकड़ा 300 पार होने की उम्मीद
मानपुर/रामाभिलाष त्रिपाठी। जिले के जंगलो मे गिद्धों की गणना का कार्य आज किया जायेगा। इस दौरान राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के साथ सामान्य वन मण्डल व वन विकास निगम के जंगलों मे भी गिनती की जायेगी। उल्लेखनीय है कि गिद्धों की पिछली गणना 2018-19 मे हुई थी, जिसमे अकेले बांधवगढ़ मे ही 144 गिद्ध पाए गए थे। इस बार यह संख्या तीन सौ को छू सकती है। वर्ष 2018-19 मे बांधवगढ़ के तीन रेंज (ताला, खितौली व मानपुर) के 92 घोसले चिन्हित हुए थे। जहां चार प्रजाति के 283 गिद्ध मिले थे। इसके पूर्व 2016-17 मे यह संख्या 250 के आसपास थी। इसी साल से विलुप्त प्राय: इस पक्षी के संरक्षण के लिए गणना प्रारंभ की गई थी। वाइल्ड लाइफ अनुसार ये पक्षी साल भर मे एक अंडा देते हैं। तीन माह तक इनके बच्चे पंख फडफ़ड़ाते हैं और 5-6 माह मे उड़ान भर पाते हैं। गिद्ध अपने घोंसले चट्टान, पहाड़ों की दरारें, स्मारकों के गुंबद आदि मे बनाते हैं। गिद्ध भोजन के बाद स्नान करता है ताकि पंख, त्वचा व चोंच मे लगा खून आदि साफ हो सके। इसलिए इनके ठिकाने भौगोलिक स्थिति मे नदी के किनारे ज्यादा पाए जाते हैं।
जिले मे मौजूद ये प्रजातियां
क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम के अनुसार देश मे गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमे 7 मध्यप्रदेश के जंगलों मे देखी जा सकती हैं। हालांकि यहां स्थाई चार प्रजातियां ही मानी गई हैं। इनमे लॉग बिल्ड वल्चर (देशी गिद्ध) व्हाइट बैक्ड रम्प्ड (चमर गिद्ध), किंग (राज गिद्ध), सिनेरियस (काला गिद्ध), इजिप्शियन (सफेद गिद्ध), हिमालयन ग्रिफॉन (हिमालयी गिद्ध), यूरेशियन ग्रिफॉन(यूरेशियायी गिद्ध), स्लेंडर बिल्ड वल्चर (पतली चोंच वाला गिद्ध) एवं लम्मेर्गेयर(जटायु गिद्ध) शामिल हैं। इनमे स्लैंडर बिल्ड वल्चर, एम्मेर्गेयर को छोड कर अन्य सात मप्र. मे मिलते हैं। पांच प्रजाति उमरिया जिले के वन क्षेत्रों मे अलग-अलग समय पर देखी जा सकती हैं।
सभी रेंज मे टीम गठित
बांधवगढ़ में गिद्ध गणना के लिए 11 वालेंटियर ने भोपाल से अपना नाम पंजीयन कराया है। आवास स्थल वाले रेंज खितौली व ताला कोर जोन में वन परिक्षेत्र की चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। शनिवार को अन्य सभी रेंजों की टीमों का गठन कर लिया गया है । इनमे बीटगार्ड, ग्राम वन सुरक्षा समिति सदस्य, वालेंटियर व गार्ड शामिल है।

 

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