जंग के लिये तैयार जवान बाघ

जंग के लिये तैयार जवान बाघ
बांधवगढ़ मे और तेज होगी टेरीटेरोटियल फाईट, तैयार हो रही नई पौध
उमरिया। जिले का विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व दुर्लभ वन्यजीवों के अलावा बाघों की सघन आबादी के लिये भी जाना जाता है। बहुतायत मे पाये जाने वाले बाघ जहां देश और दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, वहीं इनकी बढ़ती संख्या कई बार खुद बाघों के लिये ही समस्या बन जाती है। उद्यान मे क्षेत्र को लेकर होने वाली लड़ाई मे हर साल करीब आधा दर्जन बाघों की मौत हो जाती है। पार्क मे तेजी से बड़े हो रहे शावक अब सालों से अपना वर्चस्व बना कर रह रहे बूढ़े बाघों को खदेडऩे की कोशिश करेंगे। ऐसे मे खूनी जंग होना लजिमी है।
कमजोर को छोडऩा पड़ेगा इलाका
वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों का मानना है कि करीब ड़ेढ हजार वर्ग किमी मे फैले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कई शावक अगले साल दो साल की उम्र को पार कर जाएंगे। इसके साथ वे अपने लिये स्वतंत्र इलाके की खोज मे जुट जायेंगे। बताया जाता है कि पार्क मे ऐसे बाघों की संख्या दो दर्जन से ज्यादा है। इन जवान टाईगरों को अपना इलाका बनाने के लिये किसी न किसी पुराने बाघ से भिडऩा ही पड़ेगा। दोनो मे से जो कमजोर पड़ेगा, उसे अपना क्षेत्र छोड़ कर जाना पड़ेगा।
पेशाब से बनाते हैं सीमा
बताया जाता है कि हर बाघ की अपनी सीमा होती है, जिसका चिन्हांकन वे अपने पेशाब से करते हैं। अन्य प्रतिद्वंदी के सीमा की पहचान बाघों को इसी गंध हो जाती है। इससे वे जान जाते हैं कि अमुक इलाके पर किसी और का अधिपत्य है। जिसके बाद नया बाघ या तो उस इलाके मे नहीं घुसता या उसे युद्ध करके अपनी बादशाहत कायम करनी होती है। वन्य जीवों के जानकार नरेंद्र बगडिय़ा बताते हैं कि ऐसी स्थिति मे बाघों के अलावा पार्क प्रबंधन को भी सतर्क रहना पड़ता है। युवा बाघ जब टैरेटरी की तलाश में निकलते हैं तो उन्हें अलग-अलग आयु समूह के बाघों से संघर्ष करना पड़ता है। इस लड़ाई मे हमेशा कमजोर बाघों की मौत हो जाती है।
प्रौढ़ और उम्रदराज सबसे ज्यादा
एक जानकारी के मुताबिक बांधवगढ़ मे वर्तमान मे 124 बाघ हैं। इनमे एक से डेढ़ और ढाई से तीन वर्ष की आयु वाले बाघों की संख्या लगभग दो दर्जन से ज्यादा है। साढ़े तीन से सात साल के बाघों की संख्या सर्वाधिक लगभग 35 से 50 के बीच है। जबकि सात से दस साल के बाघ करीब दो दर्जन और दस से बारह साल के बाघों की संख्या लगभग डेढ़ दर्जन है। 10 से 12 या उससे ज्यादा उम्र के बाघों की संख्या एक से डेढ़ दर्जन के बीच है।
संघर्ष रोकने किये जाते उपाय
जनसंख्या का घनत्व टेरीटोरीफाईट का सबसे बड़ा कारण है। इसके लिये सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। इनमे बाघों का भोजन याने शाकाहारी जानवरों के लिये घास के मैदान तैयार करना, उजड़े वनों का विकास तथा जंगल के अंदर के गांवों को खाली करा कर क्षेत्र विस्तार आदि शामिल हैं। अंतिम उपाय बाघों की शिफ्टिंग भी है।
विंसेंट रहीम
क्षेत्र संचालक
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

 

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