जंगल में फायर नहीं फ्लावर की जरूरत

वन को आग से बचाने ग्रामीणों को कर रहे जागरूक, दे रहे चेतावनी

बांधवभूमि, उमरिया। पुष्पा फिल्म के डायलॉग आम लोगों के सिर चढ़कर बोल रहे हैं। इसी फिल्म के एक डायलॉग को वन विभाग के अधिकारियों ने नारा बना दिया है। वन
विभाग के अधिकारी और जंगल में काम करने वाले एनजीओ ग्रामीणों को बता रहे हैं कि जंगल में फायर नहीं फलावर होना चाहिए। दरअसल गर्मी के मौसम में जंगल में आग भड़कती है और इसके पीछे ग्रामीणों का बड़ा हाथ होता है। जंगल में फूलने वाला महुआ का फूल ग्रामीणों की आय का बड़ा स्रोत होता है। महुए के फूल के लिए गांव के लोग जंगल में आग लगा देते हैं। यही कारण की गर्मी से पहले गांव के लोगों को सतर्क किया जा रहा है कि वे जंगल में आग ना लगाएं, अन्यथा उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

पत्तों में लगाते हैं आग

गर्मी के मौसम में पतझड़ के दौरान जंगल में पत्तों का ढेर लग जाता है। महुआ के पेड़ के नीचे भी भारी मात्रा में महुआ के पत्ते झड़ कर सूख जाते हैं। महुए के फूल जब गिरते हैं तो वे इन्हीं सूखे हुए पत्तों के नीचे छप जाते हैं, जिन्हें तलाश पाना सरल नहीं होता है। यही कारण है कि ग्रामीण महुए के फूलों के गिरने से पहले पेड़ों के नीचे सफाई करने के लिए पत्तों
में आग लगा देते हैं। पत्तों में लगने वाली आग कभी-कभी विकराल रूप ले लेती है और जंगल के बड़े हिस्से को निकल जाती है।

जंगल के गांव में अभियान

लास्ट विंडरनेस संस्था के प्रतिनिधि पुष्पेंद्र नाथ द्विवेदी ने बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बसे गांव में लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में कई गांव बसे हुए हैं। साथ ही बफर जोन में भी सैकड़ों की संख्या में गांव हैं। इन गांव में रहने वालों को जागरूक किया जा रहा है कि जंगल में लगने वाली आग के कारण उनका खुद का भी अहित हो सकता है। न सिर्फ इससे वन उपज नष्ट हो सकती है बल्कि उन्हें कानूनी मुश्किलों से भी घिरना पड़ सकता है।
इस अभियान के दौरान वन्य प्राणी प्रेमी और पर्यावरण विदों ने गांव में पहुंच कर ग्रामीणों को सजग किया।

पिछले साल लगी विकराल आग

पिछले वर्ष गर्मियों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा जंगल में लगी आग से प्रभावित हो गया था। इस अग्निकांड में न सिर्फ कई हेक्टर में लगा जंगल जलकर नष्ट हो गया था, बल्कि कई वन्य प्राणी भी जंगल की आग की वजह से मौत का शिकार हो गए थे। जंगल में पिछले साल जैसे अग्निकांड की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए अधिकारियों ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ बीएस अन्नागिरी ने बताया कि जंगल को आग सुरक्षित करने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जंगल में आग लगाने वालों के
खिलाफ 2 साल की सजा का प्रावधान और 5000 तक के जुर्माने का प्रावधान है।

नारे का असर

गर्मी में जंगल को आग से बचाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने एक नारा
दिया है और इस नारे के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है। यह नारा है जंगल में फायर नहीं फ्लावर होना चाहिए। ग्रामीणों को जागरूक करते हुए बताया जा रहा है कि अगर उन्होंने जंगल में आग लगाई तो 2 साल का कारावास और 5000 तक का जुर्माना उन पर हो सकता है। ग्रामीणों को यह भी बताया जा रहा है कि वे जंगल की वजह से आय अर्जित करते हैं इसलिए जंगल को सुरक्षित रखना उनकी जिम्मेदारी है।

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