छत्तीसगढ़ CM के पिता अरेस्ट

नंद कुमार बघेल को आगरा से रायपुर लाई पुलिस, ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी करने पर कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

रायपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल को पुलिस ने आगरा से गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें मंगलवार को रायपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश किया गया है। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि नंद कुमार बघेल ने जमानत लेने और वकील रखने से मना कर दिया है। उन पर ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान देने का आरोप है।

रायपुर के डीडी नगर थाने में FIR दर्ज कराई गई थी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल के खिलाफ रायपुर के डीडी नगर थाने में केस दर्ज किया गया है। सर्व ब्राह्मण समाज की शिकायत पर ये केस दर्ज किया गया। नंद कुमार पर सामाजिक द्वेष पैदा करने का आरोप है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 505- समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने और धारा 153 ए के तहत सामाजिक तनाव बढ़ाने वाला बयान देने का आरोप है।

रायगढ़ में भी ब्राह्मण समाज ने कार्रवाई को लेकर किया था प्रदर्शन
करीब 3 दिन पहले नंद कुमार बघेल के बयान से नाराज ब्राह्मण समाज ने रायगढ़ में उनका पुतला दहन किया था। FIR दर्ज करने की मांग को लेकर सिटी कोतवाली का घेराव कर दिया। घंटों चले हंगामे के बाद पुलिस ने समाज के लोगों से शिकायत ले ली थी और कार्रवाई का भरोसा दिया था। हालांकि तब मामला दर्ज नहीं किया गया।

क्या कहा था नंद कुमार बघेल ने?
पिछले महीने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में नंद कुमार बघेल ने कहा था, अब वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा। हम यह आंदोलन करेंगे। ब्राह्मणों को गंगा से वोल्गा (रूस की एक नदी) भेजेंगे, क्योंकि वे विदेशी हैं। जिस तरह से अंग्रेज आए और चले गए। उसी तरह से ये ब्राह्मण या तो सुधर जाएं या फिर गंगा से वोल्गा जाने को तैयार रहें।

20 साल पहले किताब पर हुआ था विवाद
नंद कुमार बघेल ने 20 साल पहले ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मार” शीर्षक से एक किताब लिखी थी। उनका कहना था कि किताब मनु स्मृति, वाल्मिकीय रामायण, रामचरितमानस और पेरियार की सच्ची रामायण की नए नजरिए से व्याख्या है। इस किताब के सामने आते ही विवाद शुरू हाे गया था।

2001 में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस किताब को प्रतिबंधित कर दिया था। बघेल 17 साल तक इसके खिलाफ केस लड़ते रहे। 2017 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगाने के खिलाफ की गई उनकी याचिका को खारिज कर दिया। सरकार का कहना था कि इस किताब में हिंदू धर्म की मान्यताओं के विपरीत और समाज पर नकारात्मक असर डालने वाली सामग्री है।

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