चंदिया तहसील मे चल रही सामंतशाही, लुट रहे आम नागरिक
चंदिया। स्थानीय तहसील कार्यालय मे व्याप्त भर्रेशाही और भ्रष्टाचार नागरिकों के लिये मुसीबत का सबब बना हुआ है। लूट का आलम यह है कि लोगों को छोटे से छोटे काम के लिये भी हजारों रूपये भेंट चढ़ाने पड़ते हैं उसके बाद भी उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है। कार्यालय मे पदस्थ वरिष्ठ अधिकारी लोगों को खुलेआम सामंतवाद का एहसास कराते हैं। वे साफतौर पर कहते हैं, कि मै राजा हूं और मेरे पास अपना किला है। पैसे दो अन्यथा काम नहीं होगा, जाओ जिससे शिकायत करना हो कर दो। बताया जाता है कि ये अधिकारी और कर्मचारी वर्षो से तहसील मे पदस्थ हैं। सरकार मे हर स्तर पर उनका जुगाड़ फिट है, यही कारण है कि लाख शिकायतों के बाद भी उनका ट्रंासफर तो दूर कोई बाल बांका भी नहीं कर पा रहा है। उल्लेखनीय है कि चंदिया तहसील अंतर्गत सैकड़ों गांव आते हैं। तहसील मे कईं प्रकरण सालों से लंबित हैं। इसके अलावा सीमांकन, बटनवारा, नामांतरण आदि के मामले भी लटके पड़े हैं। किसानो तथा अन्य हितग्राहियों को इन सभी कार्यो के लिये जूझना पड़ता है।
दलालों के कहने पर बैठती है चिडिय़ा
बताया जाता है कि तहसील कार्यालय मे सिर्फ दलालों के कहने पर ही काम होता है। इन दलालों मे कुछ छुटभैये वकील भी शामिल हैं, जिन पर साहब का वरदहस्त है। ये दलाल पक्षकारों सेे मुंहमांगी रकम ऐंठने के बाद जब इशारा करते हैं, तभी साहब बहादुर कागज पर चिडिय़ा बैठाने को राजी होते हैं।
जब सैंया भये कोतवाल
तहसील के बड़े साहब का जब यह हाल है तो उनके अधीनस्थ भला पीछे कैसे रह सकते हैं। पक्षकारों और नगरिकों ने बताया कि कोई भी आरआई और पटवारी अपने मुख्यालय पर मौजूद नहीं रहते। जिसकी वजह से दूर दराज से आये पक्षकार और नागरिक यहां से वहां भटकते रहते हैं।
कलेक्टर से कार्यवाही की मांग
क्षेत्र के लोगों ने कलेक्टर से चंदिया तहसील मे चल रही मनमानी और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि आम जनता को परेशानी से मुक्ति दिलाने के लिये जरूरी है कि निरंकुश हो चुके अधिकारी तथा कर्मचारियों को तत्काल हटाया जाय। सांथ ही कलेक्टर स्वयं कार्यालय का औचक निरीक्षण करें ताकि वे स्थिति से अवगत हो सकें।