गजकेसरी नक्षत्र मे भाईयों की कलाई पर सजेगा रक्षा सूत्र
रक्षाबंधन का पावन पर्व 22 को, 474 साल बाद बना ग्रहों का दुर्लभ संयोग
उमरिया। भाई-बहन के असीम प्रेम का महान पर्व रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा पर 22 अगस्त को देश भर मे मनाया जाएगा। नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग से इस बार त्यौहार के लिये राजयोग बन रहा है। वहीं भद्रा नहीं रहने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. चंदन शर्मा के अनुसार सामान्यत: रक्षाबंधन का पर्व श्रवण नक्षत्र मे मनाया जाता है, लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। गुरु कुंभ राशि मे वक्री हैं और इसके साथ चंद्रमा भी रहेगा। इन ग्रहों की वजह से गजकेसरी योग बन रहा है। रक्षाबंधन के दिन सूर्य, मंगल और बुध सिंह राशि मे रहेंगे। ङ्क्षसह राशि का स्वामी सूर्य है। इस राशि मे उसका मित्र मंगल भी रहेगा। इस दिन शुक्र कन्या राशि मे रहेंगे। ग्रहों के यह योग शुभ फल देने वाले है। ऐसा योग 474 साल पहले 11 अगस्त 1547 को बना था। जब धनिष्ठा नक्षत्र मे रक्षाबंधन मनाया गया था। उस समय सूर्य, मंगल और बुध की ऐसी ही स्थिति थी। उस समय शुक्र, बुध की राशि मिथुन मे थे। जबकि इस साल शुक्र, बुध ग्रह की राशि कन्या मे स्थित रहेंगे।
शुभ कार्यो के लिये श्रेष्ठ दिन
पं. चंदन शर्मा के मुताबिक यह संयोग रक्षाबंधन पर होने से भाई-बहन दोनों के लिए लाभ और शुभ कल्याणकारी होगा। वहीं खरीदारी व कोई भी सरकारी कार्य शुरू करने के लिए भी यह राजयोग अच्छा माना जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 22 अगस्त को सुबह 10.34 तक शोभन योग रहेगा, वही रात 7.40 तक धनिष्ठा योग रहेगा। धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। धनिष्ठा नक्षत्र मे जन्म लेने वाला भाई अपनी बहन के प्रति विशेष लगाव रखता है। पूर्णिमा तिथि 22 अगस्त को शाम 5.31 बजे तक रहेगी। राखी बांधने के शुभ मुहूर्त सुबह 6.15 से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा।
धनु लग्न मे बंधवायें राखी
पं. शर्मा के अनुसार इन विशेष योगों में राखी बंधवाना मंगलकारी रहेगा। इसी दिन देवगुरू बृहस्पति के साथ चंद्रमा की युति रहेगी, जिसके परिणाम स्वरूप इस अवधि मे किए गए धार्मिक कार्य अधिक शुभ फल देंगे। सफेद व पीले धागे से बनी राखी का उपयोग किया जाना चाहिए। सफेद चंद्रमा और पीला बृहस्पति का रंग होता है। इसका असर स्वास्थ्य और शिक्षण कार्य पर भी होता है। राखी बंधवाते समय भाई और बहन दोनों ही काला व धारण न करें। इस दिन पूर्णिमा, वृश्चिक व धनु लग्न के समय राखी बंधवाना श्रेष्ठ रहेगा। श्रावणी उपाकर्म भी इसी दिन किए जाएंगे। हेमाद्रि स्नान व जनेऊ आदि संस्कार दोपहर तक संपन्न करा लेना चाहिए।
गजकेसरी नक्षत्र मे भाईयों की कलाई पर सजेगा रक्षा सूत्र
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