खरीद -बिक्री मे परिवहन विभाग को लगाया लाखों का चूना

शहडोल/सोनू खान। एक ओर जहां कोरोना काल में शासन को राजस्व की ज्यादा आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर नगर में संचालित कृष्णा ऑटोमोबाइल्स के द्वारा शासन को चूना लगाया जा रहा है, जी हां हम आपको बता दें कि कृष्ण ऑटोमोबाइल्स के द्वारा कुछ समय पूर्व ङ्क्षहदुजा फाइनेंस शहडोल से खींची हुई ऑटो खरीदी व बिक्री की गई है। जिसमें नियमानुसार फार्म क्रमांक ३६-३७ के बिना ही किसी कार्यवाही के लिए ङ्क्षहदुजा फाइनेंस द्वारा खींच कर बेच दी गई कृष्णा ऑटोमोबाइल के संचालक द्वारा भी खींची हुई गाडि़यों को क्रय विक्रय के पूर्व किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया और ना ही परिवहन कार्यालय में ऐसी कोई सूचना दी गई जब कृष्ण ऑटोमोबाइल्स के संचालक को शहडोल में लोहिया ऑटो की नई गाडि़यों के काम करने का डीलर नियुक्त किया गया है तो इनके द्वारा कैसे सेकंड हैंड किसी भी कंपनी के ऑटो व अन्य गाडि़यां जो खींची हुई है उनको क्रय विक्रय का कार्य किया जा रहा है यह बात समझ के परे है लेकिन क्या कृष्ण ऑटोमोबाइल्स के संचालक को परिवहन विभाग से गाड़ी क्रय विक्रय करने की अनुमति प्राप्त है, जो संचालक द्वारा आज दिनांक तक भी ग्रीन गार्डन होटल गोरतारा पेट्रोल पंप के बगल में लगभग ४० से उक्त पर ऑटो अवैध रूप से रखी है इसके अलावा इसके संचालक द्वारा ङ्क्षहदूजा फाइनेंस के साथ सांठगांठ कर मनमानी दाम में खींची गाडि़यों का सौदा किया जिन गाडि़यों का बाजारों मूल्य कई गुना ज्यादा है। फाइनेंस कंपनी के द्वारा गाड़ी खींचने के पूर्व कार्यालय से अनुमति व जानकारी का आदान प्रदान करना था इसके बाद ही गाड़ी खींचकर कंपनी अपने नाम करा कर ही गाड़ी किसी अन्य को बेजती पर ऐसा नहीं हुआ खुलेआम नियमों का उल्लंघन किया गया है इतना ही नहीं गाड़ी खींचने के पूर्व जितने भी गाड़ी खींची गई है किसी को भी इन दोनों के द्वारा सहमति नहीं ली गई है।
झूठा प्रलोभन देकर गाड़ी भी खींच लिए गए और कर्ज भी जस का तस बना हुआ है, ग्रीन गार्डन होटल में आज भी गाडि़यों को खड़ा किया गया है इतना ही नहीं इसके अलावा बिना किसी वैध दस्तावेज के कृष्णा ऑटोमोबाइल के संचालक द्वारा खींची गई गाडि़यों को बेचकर बिना वाहन स्वामी के ही नामांकन कराने की प्रक्रिया करवाने के जुगाड़ में लगे हुए हैं जबकि फॉर्म नंबर ३६-३७ के कार्यवाही के बिना आखिर कैसे ऑटोमोबाइल्स के संचालक द्वारा जो खींची गाडि़यां हैं उन्होंने खरीदी है और यह आखिर किन दस्तावेजों के आधार पर गाड़ी बेचेंगे यह बात भी प्रश्न चिन्ह बनकर रह गया है जबकि फाइनेंस कंपनी ने भी ३६-३७ की कार्यवाही नहीं की है। कृष्णा ऑटोमोबाइल्स के यहां यदि परिवहन विभाग दबिश दे तो खुलकर यह बात सामने आ जाएगी कि शहडोल में ऐसे कितने फर्जी कार्य किए जा रहे हैं जिनमें शासन के नियमों का भली-भांति पालन नहीं किया जा रहा है इससे यह बात तो साफ हो गई कि ऐसी खींची गाडि़यों का कार्य करने वाले लोगों से यह उम्मीद की जा सकती है कि चोरी की गाडि़यों का भी कार्य किया जा सकता है। गाडि़यों को काटकर किसी का पार्ट किसी में लगाना चेचिस किसी और ऑटो में लगाना यह संभव हो सकता है, लेकिन परिवहन विभाग में यदि बारीकी से जांच हुई तो मामला खुल कर सामने आ जाएगा।

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