कोयला खदानो मे ‘बाहरियों’ को रोजगार

स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं देने का बीएमएस ने किया विरोध, सौंपा ज्ञापन

उमरिया। केन्द्र सरकार द्वारा कोयला खदानो को निजी हाथों मे सौंपे जाने का असर अब दिखना शुरू हो गया है। कभी जिन खदानो मे हजारों स्थानीय लोगों को नौकरियां मिलती थीं, अब उनमे आदमी की जगह मशीने काम कर रही हैं। इतना ही नहीं ये प्रायवेट कम्पनियां बड़ी-बड़ी स्वचलित मशीनो के सांथ अपने कर्मचारी भी लेकर आ रही हैं, नतीजतन जिले के लोगों को रोजगार मिलना बंद हो गया है। यदि यही हाल रहा तो धीरे-धीरे भारत सरकार की नव रत्न कम्पनियों मे से एक कोल इण्डिया की सारी खदाने बंद हो जायेंगी और उनकी जगह उद्योगपति मशीनो के जरिये दो-तीन सालों मे ही सारा माल निकाल कर उडऩ छू हो जायेंगी। और यहां के लोगों को मिलेगा खण्डहर, खाईयां और बेरोजगारी।
श्रमिक संगठन कर रहे विरोध
श्रमिक संगठन काफी समय से सरकार की इस नीति का विरोध कर रहे हैं। विगत दिनो इसी मुद्दे पर खदानो मे हड़ताल भी हुई थी। एक अन्य संगठन भारतीय मजदूर संघ ने कल एसईसीएल की विंध्या कालरी मे उत्पादन कर रही कम्पनी पर स्थानीय लोगों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। इसके विरोध मे संगठन द्वारा धरना-प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर जिला भारतीय मजदूर संघ की उपाध्यक्ष एवं आगनबाड़ी प्रदेश महामंत्री सुनीता त्रिपाठी, जिला मंत्री राजेश द्विवेदी, सुनीता जायसवाल, बीपी चतुर्वेदी, प्रदीप बघेल, कपूरचंद प्रजापति, हेमलता सिंह, सुखनंदन चौहथा, राजेश सिंह, अजय सिंह, मनीष तिवारी, प्रदीप अब्रोल, नौमीशरण यादव, अंजू शुक्ला, लक्ष्मी गोस्वामी, अनुपमा बर्मन, सुनील सिंह, उमा कोल आदि पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
बीस समस्याओं का जिक्र
ज्ञापन मे अन्य कई मांगे भी रखी गई हैं। जिनमे कालरियों मे सिर्फ स्थानीय लोगों को नौकरी देने, मजदूरों को पूर्ण रोजगार, समस्त कारखानों शत-प्रतिशत नियुक्ति, लॉकडाउन अवधि के लंबित वेतन का भुगतान, हितग्राहियों को संबल और मनरेगा के तहत रोजगार दिलाने, बाहर से लौटे श्रमिकों को मुआवजा और मजदूरी, अतिथि शिक्षकों को मई मांह का स्का हुआ मानदेय दिलाने, सीएम की घोषणा के अनुरूप आगनबाड़ी के रसोईयों का मानदेय 1000 रूपये करने, कियोस्क बैंक संचालकों का बीमा और कुशल कर्मचारियों का मानदेय योग्यतानुसार दिलाने सहित 20 मांगों का उल्लेख किया गया है।
जमीन हमारी रोजगार दूसरे को
भारतीय मजदूर संघ के नेताओं ने बताया कि एसईसीएल की विंध्या कॉलरी जॉय नामक कम्पनी को सौंप दी गई है। जो कि मशीनो से कोयला निकाल कर मोटा माल कमा रही है। कम्पनी का साफ कहना है कि उसके पास पर्याप्त मात्रा मे ट्रेण्ड कर्मचारी हैं, अत: वह किसी भी बाहरी व्यक्ति को काम पर नहीं रख सकती है। जबकि बीएमएस का कहना है एसईसीएल द्वारा कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के लिये वीटी सेंटर स्थापित किया गया है जिसमे नये कामगारों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा सकता है परंतु कम्पनी स्थानीय लोगों को रोजगार न देकर सारा काम मशीनो से ही कराना चाहती है। श्रमिक संगठन का मानना है कि जिस क्षेत्र की जमीने कोयला निकालने के बाद किसी काम के योग्य नहीं रह जायेंगी, वहां के लोगों को रोजगार भी न मिले यह दुर्भाग्यजनक है।
स्व. इंदिरा जी ने किया था राष्ट्रीयकरण
क्षेत्र के बुजुर्ग श्रमिक नेताओं का मानना है कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कोयला राष्ट्रीयकरण ने काले हीरे की अकूत संपदा को पूंजीपतियों से छीन कर सरकार के हाथों मे सौंपा था। इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ स्थानीय लोगों को रोजगार देना और क्षेत्र की उन्नति करना था। इससे ऐतिहासिक समृद्धि आई और चहुमुखी विकास हुआ पर अब मोदी सरकार उन्ही उद्योगपतियों को फिर से देश की अमूल्य खनिज संपदा सौंप रही है, जिसके गंभीर और दूरगामी परिणाम होंगे।

 

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *