अरुणाचल से अमित शाह ने चीन को दिया करारा जवाब
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस वक्त अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू इलाके में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की। इससे सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही पलायन रोकने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिहाज से भी वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम काफी अहम माना जा रहा है। बता दें कि अरुणाचल का किबिथू गांव चीन से सटा हुआ है। अमित शाह की वाइब्रेंट विलेज योजना पर 4800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उनका दौरा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि हाल में चीन ने अरुणाचल के 11 स्थानों के नाम बदल दिए थे।अमित शाह के इस दौरे से चीन बौखला गया है। चीन का कहना है कि भारत के गृह मंत्री के अरुणाचल प्रदेश दौरे से उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है। चीन ने अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश दौरे की आलोचना भी की है। चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि चीन भारत के गृह मंत्री की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का दृढ़ता से विरोध कर रहा है और क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।बता दें कि चीन ने हाल ही में कुछ स्थानों का नाम बदल दिया है, जो कि भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थित हैं। लेकिन चीन उन इलाकों पर अपना दावा करता है। भारतीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा पर एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, जंगनान चीन का क्षेत्र है। भारतीय अधिकारी की जंगनान यात्रा चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है और सीमा की स्थिति और शांति के लिए अनुकूल नहीं है।गृह मंत्री अमित शाह की यह यात्रा अरुणाचल प्रदेश में चीन के मंसूबों का जवाब है क्योंकि यह उसी क्षेत्र में है जिस पर चीन आए दिन अपना दावा करता है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य उत्तरी सीमा के अपने हिस्से में स्थायी गांवों को प्रोत्साहित करना है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत के दौरान अमित शाह ने कहा कि भारत की जमीन को हथियाने का जमाना अब चला गया है। शाह ने बिना नाम लिए चीन पर हमला करते हुए कहा कि सुई की नोक जितनी जमीन भी कोई नहीं ले सकता। उन्होंने कहा, अरुणाचल में कोई भी नमस्ते नहीं करता, सब जय हिन्द बोल कर एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। यह देख कर हृदय देशभक्ति से भर जाता है। अरुणाचलवासियों के इसी जज्बे के कारण 1962 की लड़ाई में जो अतिक्रमण करने आया था उसे वापस जाना पड़ा था।
कोई भी नहीं ले सकता सुई की नोक जितनी जमीन
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