खरीफ पर 50 फीसदी तक बढ़ाई एमएसपी. किसानों को खुश करने 25,000 करोड़ दांव
नई दिल्ली । कृषि बिलों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन से भाजपा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को खरीफ फसलों पर 50 फीसदी तक एमएसपी बढ़ाकर किसानों को खुश करने की कोशिश की है। नई एमएसपी पर केंद्र के 25,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने एक बार फिर से किसानों के साथ चर्चा की पहल की है। उधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात कर आंदोलन के लिए समर्थन मांगा है। भाजपा सूत्रों के अनुसार किसान आंदोलन से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार किसानों को खुश करने की कवायद में जुट गई है। कोरोना महामारी के दौरान लगातार दूसरे साल सरकार ने खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है। कैबिनेट की बैठक में खरीफ फसलों के नई एमएसपी को मंजूरी दे दी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों पर 50 फीसदी तक एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है। कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पिछले 7 साल से किसानों के हित में फैसले ले रही है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने के लिए हर वक्त तैयार है। तोमर ने कहा कि तिल की एमएसपी 452 रु., तुअर और उड़द दाल की 300 रुपए बढ़ाई गई है। धान (सामान्य) की एमएसपी पिछले साल के 1,868 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1,940 रुपए प्रति क्विंटल की गई है यानी 72 रुपए ज्यादा। नई एमएसपी पर केंद्र के 25,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पिछले साल 1 जून को 14 खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई थी। 2020-21 में धान की एमएसपी को 1815 से बढ़ाकर 1868 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया था। वहीं बाजरा पर एमएसपी बढ़ाकर 2150 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विगत 7 साल में किसान के पक्ष में बड़े निर्णय हुए हैं ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके और उनमें खुशहाली आ सके। एमएसपी 2018 से लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर घोषित की जाती है। कृषि कानून के खिलाफ पिछले कई माह से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के साथ बातचीत करने के लिए सरकार फिर तैयार हो गई है। कृषि मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर ने एक बार फिर किसानों से आह्वान किया कि किसान सरकार से बातचीत करें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बिल वापसी के अलावा सरकार सभी विकल्पों पर चर्चा करने को तैयार है। अगर किसानों को लगता है कि कानून में कुछ खामियां हैं तो हम उसमें संशोधन करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि किसानों ने कृषि कानून के खिलाफ जारी अपने आंदोलन को और व्यापक बनाने का ऐलान किया था, जिसके बाद पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश से बड़ी संख्या में किसानों का आना शुरू हो गया था।
किसान आंदोलन से हुए डैमेट को कंट्रोल करने में जुटी सरकार
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