सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता बिना किसी नतीजे पर खत्म
बांधवभूमि/नई दिल्ली। किसान नेताओं के द्वारा जो आशंका पहले ही व्यक्त की जा रही थी, आखिरकार वही हुआ। सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता बिना किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो गई। किसानों ने सरकार से दो टूक कह दिया कि वे तीनों कानूनों की समाप्ति से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। तीनों कानूनों को समाप्त करने के बाद ही किसी तरह की वार्ता आगे बढ़ाई जा सकेगी। इसके बाद सरकार ने इन मुद्दों पर विचार के लिए और समय मांगा।
अब दोनों पक्षों के बीच 9 दिसंबर को 12 बजे अगले दौर की वार्ता होगी। लेकिन इसके पहले पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत भारत बंद 8 दिसंबर को पूरे देश में किया जाएगा। मीटिंग में किसान नेताओं ने यह पूछकर सरकार को हैरान कर दिया कि आखिर कानून वापस न लेकर वह किसके हितों की रक्षा करना चाहती है, इस पर मंत्रियों को कोई जवाब नहीं सूझा और वे आपस में विचार-विमर्श के लिए बैठक कक्ष से बाहर चले गए। आइए जानते हैं इसके बाद क्या हुआ…
हमने सरकार से स्पष्ट तौर पर पूछा..
किसान नेता प्रतिभा शिंदे ने अमर उजाला से कहा कि सरकार हर बहाना बनाकर संशोधन का रास्ता अपनाना चाहती है। लेकिन आज की बैठक में हमने सरकार से स्पष्ट तौर पर पूछा कि आखिर वह इन कानूनों को वापस लेने से पीछे क्यों हट रही है, इसके पीछे उसका क्या स्वार्थ है। यह कानून अंततः जिनके लिए बनाया गया है, जब वही इससे खुश नहीं हैं तो सरकार इसे किसानों के ऊपर क्यों थोपना चाहती है। इससे वह किसके हितों की रक्षा करना चाहती है। शिंदे के मुताबिक सरकार के मंत्रियों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
..और आगे की बातचीत का क्या अर्थ
बैठक में मौजूद किसान नेता कविता कुरुगंती ने अमर उजाला को बताया कि वार्ता शुरू होने के साथ ही किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया कि वे अब और आगे की बातचीत नहीं करना चाहते हैं। बात आगे बढ़ाने के पहले सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने किसानों की मांगों पर क्या विचार किया।किसान नेता के मुताबिक पांचवें दौर की बैठक में भी मंत्रियों ने इसी बात पर जोर दिया कि वे कानून के एक-एक बिन्दु पर क्रमानुसार चर्चा कर किसानों की आपत्तियों को सुनते जाएंगे और उस पर सरकार की ओर से जो समाधान संभव होगा, उन्हें किसानों के सामने रखते जाएंगे।लेकिन किसान नेताओं ने एक बार फिर से कानून के उपबंधों पर चर्चा करने से इंकार कर दिया। किसानों ने कहा कि जब पूरे कानून की समाप्ति की बात करनी है, तो उसके किसी एक उपबंध पर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है। इस पर वे अब और समय नष्ट नहीं करना चाहते हैं।
प्रतिनिधि बैठक कक्ष से बाहर चले गए और..
इसके बाद सरकार के प्रतिनिधि बैठक कक्ष से बाहर चले गए और आपस में काफी देर तक विचार-विमर्श करते रहे। इसके बाद वापस आकार सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि कानून की पूर्ण समाप्ति का निर्णय लेने में वे सक्षम नहीं हैं और इसके लिए उन्हें अपने वरिष्ठ लोगों से बातचीत करनी पड़ेगी।इसके लिए सरकार ने 8 दिसंबर तक का समय मांगा जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद अगली बैठक का समय 9 दिसंबर तय किया गया। तब तक किसानों का आंदोलन पूर्ववत चलता रहेगा। इसी बीच आठ दिसंबर को बुलाया गया भारत बंद का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार चलाया जाएगा।