किसानों का ऐलान-कृषि कानूनों को नहीं करेंगे स्वीकार

संसद सत्र बुलाए सरकार-दिल्ली के सभी रास्तों और राजमार्गों पर किसानों का जमावड़ा
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बुधवार को 7वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने शाम करीब सवा पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष स्वराज सिंह ने कहा, हम सड़क पर नहीं बैठे हैं। प्रशासन ने बैरिकेड्स और जवान खड़े करके हमारा रास्ता रोका है और इसीलिए हम यहां रुके हैं। हमें यह जगह अस्थाई जेल जैसी लगती है और हमें रोका जाना गिरफ्तारी की तरह है। हम जैसे ही यहां से छूटे तो सीधा दिल्ली जाएंगे। उधर, राजधानी दिल्ली के सभी रास्तों और राजमार्गों पर किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। देशभर से किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं। मप्र के ग्वालियर से किसानों का दल आंदोलन में शामिल होने पहुंचा है। उधर, राजस्थान से दिल्ली जा रहे किसानों को हरियाणा बार्डर पर रोक दिया गया है। इससे किसान वहीं धरने पर बैठक गए हैं।
तोमर और गोयल ने शाह को अपडेट दी
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल, जो मंगलवार को किसानों को मनाने में नाकाम रहे थे, वो बुधवार गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मिले। दोनों मंत्रियों ने मंगलवार को किसानों से हुई बातचीत का अपडेट शाह को दिया।
पंजाब के घर-घर से आ रही रसद
भूखे पेट फौज जंग नहीं लड़ सकती। इस बात को पंजाब के किसानों से बेहतर कोई नहीं जानता। दो महीने पंजाब और अब सात दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को खाने की दिक्कत न हो, इसके लिए पूरे पंजाब में हर किसान परिवार योगदान दे रहा है। पंजाब में लगे ज्यादातर पक्के धरने इन दिनों कलेक्शन सेंटर में बदल दिए गए हैं। जहां 70 साल के बुजुर्गों से महिलाएं तक सिर पर आटा, चावल, दाल की बोरियां लादकर पहुंच रहे हैं। हर घर से आटा, दाल, घी, फल, सब्जियां और दूध आदि पहले कलेक्शन सेंटर और फिर वहां दिल्ली पहुंचाया जा रहा है। किसान जत्थेबंदियों ने गांवों में टीमें बनाई हैं जो यकीनी बनाती हैं कि दिल्ली तक राशन की सप्लाई की चेन टूटने न पाए। दिल्ली कूच से पहले ही किसान जत्थेबंदियों ने साफ कर दिया था कि 26-27 नवंबर को चार महीने का राशन अपने साथ लेकर निकलेंगे। गांवों से रोजाना सामान इक_ा किया जा रहा है और जरूरत के मुताबिक धरनास्थल तक पहुंचाया जा रहा है। किसान अपने स्तर पर भी सामान लेकर पहुंच रहे हैं। होशियारपुर के गांव राजपुर भाइयां से खाने-पीने के सामान के अलावा, कपड़े, कंबल, डिस्पोजल भेजे जा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि जब तक आंदोलन चलेगा, किसी चीज की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। रोपड़ में लोगों से 2 लाख का चंदा जुटाकर किसानों के लिए सामान भेजा गया। वहीं, 20 किलो अचार का डिब्बा उठाए कलेक्शन सेंटर पहुंची बुजुर्ग महिला ने कहा कि आगे भी सामान पहुंचाती रहेंगी।
विदेशों में भी किसानों के लिए लड़ाई
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को दुनियाभर में समर्थन मिल रहा है। खासतौर से कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दूसरे देशों में बसे पंजाबी सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन का सपोर्ट कर रहे हैं। इन देशों में आंदोलन के समर्थन में प्रोटेस्ट किया जा रहा है और इनकी सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग भी की जा रही है। पंजाबी सोशल मीडिया के हर जरिए से इस आंदोलन को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

किसान आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश में दंगा भड़काने वाली ताकतें: नरोत्तम मिश्रा
पंजाब से शुरू होकर दिल्ली में पहुंचे किसान आंदोलन को लेकर मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बड़ा हमला बोला है। दावा किया कि किसान आंदोलन की आड़ में सीसीए-एनआरसी और दंगा भड़काने वाली ताकतें सक्रिय हैं। गृहमंत्री सिंगरौली जाते समय जबलपुर के डुमना विमानतल पर आधे घंटे के अल्प समय के लिए रुके थे। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत का प्रयास कर रही है। इसका हल किसानों से बातचीत के माध्यम से ही निकल सकता है, लेकिन उकसाने वाले असामाजिक तत्व इस आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश में जुटे हैं। वह आपसी बातचीत और समन्वय के बीच बार-बार गतिरोध पैदा कर रहे हैं। गृहमंत्री ने आरोप लगाए कि किसान आंदोलन के पीछे वही ताकतें हैं जो सीसीए-एनआरसी आंदोलन के पीछे थीं।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *