कांग्रेस ने औने-पौने दाम पर बेचा स्पेक्ट्रम, कैबिनेट को भी अंधेरे मे रखा:निर्मला

नई दिल्ली। मोदी सरकार में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एंट्रिक्स-देवास मामले में मंगलवार को कांग्रेस को आड़े हाथों लेकर कहा कि एक बहुत बड़ा घोटाला था। इसमें राष्ट्रीय हितों की अनदेखी कर एक निजी कंपनी को खास स्पेक्ट्र्म दिया गया। कांग्रेस ने अपने चाटुकारों को औने-पौने दाम पर यह खास स्पेक्ट्रम बेचा और कैबिनेट को भी मामले में अंधेरे में रखा। सीतारमण ने कहा कि कैबिनेट को इस डील की जानकारी नहीं थी। 90 फीसदी सैटेलाइट निजी पार्टी को दे दिए गए थे जो अभी लांच भी नहीं हुए थे।2011 में इंटरव्यू में तब के दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि कैबिनेट को इसकी जानकारी नहीं है। इसरो पीएमओ के तहत आता है। देवास ने देवास डेवाइस के जरिए कई तरह की सर्विसेज देने का वादा किया। लेकिन जब डील हुई,तब इनमें किसी भी सर्विस का वजूद नहीं था। आज भी इनका कोई वजूद नहीं है।मोदी सरकार हर कोर्ट में यह लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि 2005 में अंतरिक्ष और देवास में डील हुई थी। तब देश में यूपीए की कांग्रेस सरकार थी। मोदी सरकार को डील के बाद इस कैंसल करने में छह साल लगे। यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ था। यह देश के लोगों के साथ धोखा था। फरवरी 2011 में यूपीए ने एग्रीमेंट को कैंसल किया। तब कांग्रेस के मंत्रियों ने कई बयान दिए थे। तब एक तत्कालीन मंत्री को गिरफ्तार किया गया था। यह एक बहुत बड़ा घोटाला था। एक निजी कंपनी को खास स्पेक्ट्र्म दिया गया। 10-11 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसमें आदेश दिया है। इससे साफ है कि कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग किया। वित्त मंत्री ने कहा कि 2011 में देवास आईसीसी में गई। जुलाई 2011 में एंट्रिक्स को एक आर्बिटेटर नियुक्त करने के लिए कहा गया लेकिन सरकार ने उस ऐसा नहीं करने दिया। अगस्त 2011 में एंट्रिक्स को इसके लिए 21 दिन दिए गए। लेकिन सरकार ने फिर ऐसा नहीं किया।तब की कांग्रेस सरकार डेमेज के नाम पर धोखेबाजों को पैसा देना चाहती थी। मोदी सरकार के आने के बाद हम इस लड़ाई को लड़ रही है। कांग्रेस ने अपने चाटुकारों को औने-पौने दाम पर एस बैंड बेच दिए। आज वे आर्बिटेशन के जरिए करोड़ों डॉलर मांग रहे हैं। आर्बिटेशन ट्रिब्यूनल्स ने एंट्रिक्स डील कैंसल होने पर देवास के शेयरहोल्डर्स को 1.2 अरब डॉलर कॉस्ट और ब्याज का अवॉर्ड दिया है। सीतारमण ने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देवास 579 करोड़ रुपये का निवेश लाई लेकिन इसमें से 85 फीसदी राशि को गबन करके विदेश भेज दिया गया। यह देश के साथ धोखाधड़ी है। कैबिनेट के सामने गुमराह करने वाला नोट पेश किया गया, इससे साफ है कि कंपनी का पूरा कारोबार फ्रॉड था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश ने कांग्रेस सरकार की कलई खोल दी है। इससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी किस तरह काम करती है। हम अंतिम सांस तक इसके खिलाफ लड़ने वाले है। कांग्रेस को क्रोनी कैपिटेलिज्म पर बात करने का कोई हक नहीं है।
देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच साल 2005 में सैटेलाइट सेवा से जुड़ी एक डील हुई थी। आगे चलकर खुलासा हुआ कि इस डील के तहत सैटेलाइट का इस्तेमाल मोबाइल से बातचीत के लिए होना था, लेकिन इससे पहले सरकार की इजाजत नहीं ली गई थी। देवास मल्टीमीडिया उस वक्त एक स्टार्टअप था,तब 2004 में ही बना था।इस इसरो के ही पूर्व साइंटिफिक सेक्रेटरी एमडी चंद्रशेखर ने बनाया था।इस 2011 में फर्जीवाड़े के आरोपों को चलते रद्द कर दिया गया। देवास मल्टीमीडिया भले ही भारतीय कंपनी है, लेकिन इसमें विदेशी निवेशकों का बहुत सारा पैसा लगा हुआ था। इस डील के रद्द होने की वजह से विदेशी निवेशकों को काफी दिक्कत हुई। देवास मल्टीमीडिया के फर्जीवाड़े को समझने में सरकार को 2005 से लेकर 2011 तक का वक्त लग गया, इसलिए विदेशी निवेशकों को भारत सरकार के खिलाफ कनाडा कोर्ट में जाने का मौका मिल गया। पिछले ही साल कनाडा की अदालत ने एयर इंडिया और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की विदेश में स्थित संपत्ति को जब्त करने के आदेश दिए गए। हालांकि इसी महीने कनाडा की अदालत ने अपने ही फैसला पर रोक लगाकर भारत के लिए एक बड़ी राहत है।

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