कश्मीर। भारत सरकार ने फैसला किया है कि कश्मीर में काम कर रहे आप्रवासी मजदूरों व अन्य कामगारों को पुलिस और सेना के कैंपों में रखा जाएगा. एक के बाद एक हो रही आप्रवासियों की हत्याओं के बाद भारत सरकार ने यह फैसला किया है।रविवार को कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने बताया कि सरकार ने आप्रवासी लोगों को सुरक्षा के लिए पुलिस और सेना के कैंपों में रखने का फैसला किया है. विजय कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने अफसरों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द इन लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाए और तीन लोग हमले का शिकार हुए जिनमें से दो की मृत्यु हो गई। इसके बाद आईजी विजय कुमार ने बताया, “मैंने अफसरों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों को खतरा है उन्हें तुरंत सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाए.” कश्मीर में दसियों हजार आप्रवासी काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों से आए हैं. इनमें से कितने लोगों को सुरक्षित कैंपों में रखा जाएगा, इस बारे में अभी कोई स्थिति साफ नहीं हो सकी है. यह भी साफ नहीं हो पाया है कि ये लोग कैंपों में ही रहेंगे या वहां से काम कर सकेंगे. जारी हैं हत्याएं पिछले करीब दो हफ्ते से कश्मीर में एक के बाद एक मासूम लोगों की हत्याओं का सिलसिला जारी है रविवार को तीन लोगों को गोली मार दी गई जिनमें से दो की मौत हो गई, और तीसरा घायल है. मारे गए दोनों लोग बिहार के रहने वाले थे और कश्मीर में मजदूरी कर रहे थे। खबर है कि वानपो और कुलगाम में आतंकवादियों ने रविवार को मजदूरों पर गोलीबारी की जिसमें इन दोनों की मौत हो गई. इसके साथ ही कश्मीर में इस महीने मारे जानेवाले लोगों की संख्या 11 हो गई है। शनिवार को दो लोगों को गोली मार दी गई थी जिनमें बिहार के एक रहने वाले अरविंद कुमार साह थे जो वहां गोलगप्पे बेचने का काम करते थे।एक अन्य व्यक्ति उत्तर प्रदेश का रहने वाला था जिसे गोली मार दी गई थी. साह को श्रीनगर में बहुत करीब से गोली मारी गई. पुलवामा में मारे गए सगीर अहमद उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और वहां बढ़ई का काम कर रहे थे. इस महीने जिन 11 लोगों की मौत हुई है उनमें से पांच अन्य राज्यों के हैं जबकि छह कश्मीर के ही रहने वाले हैं. इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग शामिल हैं।
कश्मीर में आप्रवासियों को सेना के कैंपों में रखने के आदेश
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