कड़वा सच है मानव तस्करी

कड़वा सच है मानव तस्करी
जिले मे बेरोजगारी है पलायन की वजह, हजारों युवा आज भी परदेस मे
उमरिया। जिले के मानपुर जनपद का बचहा गांव इन दिनो मानव तस्करी की एक तथाकथित घटना के कारण चर्चाओं मे है। इस मामले मे कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है परंतु मजदूरी के लिये नवयुवकों को ले जा कर बाहर प्रांतों मे उद्योगपतियों के हवाले करने का काम लंबे समय से जिले मे चल रहा है। यूं कहें की मजदूरों की तस्करी उमरिया जिले का वह कड़वा सच है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। इसके पीछे जिले मे उद्योगों और रोजगार की भारी कमी को भी कारण बताया जाता है। गरीबी और अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिये पैसों की जरूरत नौजवानों को बाहर का रूख करने पर मजबूर करती है। जहां न तो उनके रहने, खाने और सोने का कोई ठिकाना होता है, नां ही सुरक्षा का। लोगों का दावा है कि जिले के कई ऐसे भी युवक है जो वर्षो से अपने घर नहीं लौट पाये हैं।
युवाओं को लेने आते दलाल
जानकारों का कहना है कि जिले के हजारों बेरोजगार युवा गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित कई प्रांतों और मप्र के अनेक शहरों मे काम करने जाते हैं। यह भी पता चला है कि इन स्थानो से कई दलाल हर साल जिले भर के ग्रामीण अंचलों मे आ कर मजदूरी के लिये युवाओं की तलाश करते हैं। बात पक्की हो जाने के बाद दलाल परिजनो को 5-10 हजार पकड़ा कर उनके बच्चों को अपने सांथ ले जाते हैं। फिर उन्हे फैक्ट्रियों को सौंप दिया जाता है। यह भी बताया जाता है कि बाहर जाने वाले कई युवकों की उम्र महज 15 या 17 वर्ष भी होती है। मजदूरों की व्यवस्था करने वाले दलालों को इसके लिये बाकायदा कमीशन दी जाती है।
कोरोना ने खोली थी कलई
रोजगार के लिये किस तरह उमरिया जिले से लोगों का पलायन होता है, इसकी कलई वर्ष 2020 मे कोरोना का कारण हुए लॉकडाउन के दौरान खुली थी। जब हजारों की संख्या मे श्रमिक महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों से टेक्सियों के द्वारा या पैदल वापस आये थे। इनमे से कई की तो रास्ते मे ही बीमारी और दुर्घटनाओं मे मृत्यु हो गई थी।
और बिगड़ेंगे हालात
नागरिकों का मत है कि आने वाले समय मे रोजगार की हालत और बिगड़ेगी। उन्होने बताया कि बढ़ती लागत, ज्यादा जोखिम और उपज के सही दाम न मिलने के कारण लोगों का कृषि से मोहभंग होता जा रहा है। वहीं जिले की कालरियां लगातार बंद हो रही है। केन्द्र सरकार की नीतियों की वजह से नई खदाने निजी कम्पनियों को सौंपी जा रही हैं, जो ना तो श्रमिकों को सरकारी कम्पनियों के बराबर वेतन देते हैं नां ही उतनी नौकरियां। वहीं शासकीय विभागों मे नियमित कर्मचारियों की संख्या भी निरंतर कम हो रही है। ऐसे मे लोगों की क्रय शक्ति मे कमी आने से बाजारों मे पैसे की आमद भी कम होती जायेगी। जिसका असर हर क्षेत्र मे दिखाई देगा।
भाजपा सरकार की देन है बेरोजगारी: कांग्रेस
उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पलायन, बेरोजगारी और मजदूरों की तस्करी जैसी घटनाओं के लिये भाजपा की केन्द्र और प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजय सिंह ने कहा कि बेरोजगारी के कारण ही युवाओं की यह गत हुई है। इसकी वजह से अपराध बढ़ रहे हैं। उन्होने कहा कि सरकार को जरा भी जनता की चिंता है तो वह कालरियों का निजीकरण बंद करे और जिले मे उद्योग स्थापित करने की ठोस पहल करे। उन्होने प्रशासन से जिले से बाहर जाने युवकों का विवरण दर्ज करने की मांग की है ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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