अधिकारियों ने रोकी जिले की 120 टन यूरिया, डीडीए की निष्क्रियता उजागर बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे रबी सीजन के लिये किसानो को पर्याप्त खाद और बीज मुहैया कराने के लिये जहां एक ओर कलेक्टर कृष्णदेव त्रिपाठी लगातार प्रयास कर रहे हैं। लगभग हर दिन उनके द्वारा व्यवस्था की समीक्षा कर अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किये जा रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी स्पष्ट निर्देश हैं कि किसानो को खाद की कमी न हो और उन्हे इसके लिये भटकना न पड़े, इसका पूरा ख्याल रखा जाय। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग मे बैठे अधिकारी शासन और प्रशासन की मंशा के विपरीत निष्क्रिय हो कर बैठे हुए हैं। जिसका खामियाजा एक बार फिर जिले को भुगतना पड़ रहा है। बताया जाता है कि हाल ही मे कटनी के अधिकारियों ने उमरिया के लिये आवंटित खाद रोक कर उसे अपने जिले मे बेंचने के निर्देश जारी किये हैं। इस बात की जानकारी मिलने के बाद भी कृषि विभाग के प्रभारी उप संचालक ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है।
क्या है मामला
बताया गया है कि जिले मे आने वाली खाद पहले कटनी स्थित झुकेही रैक प्वाईन्ट पर उतारी जाती है। जिसके बाद यह ट्रकों द्वारा खाद उमरिया लाई जाती है। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले चंबल फर्टिलाईजर द्वारा सप्लाई यूरिया का रैक कटनी पहुंचा था, जिसमे जिले की करीब 120 टन यूरिया थी, इसे जिले के प्रायवेट विक्रेताओं को सप्लाई किया जाना था, परंतु कटनी जिले के उप संचालक एके राठौर द्वारा चंबल फर्टिलाईजर्स एण्ड केमिकल्स लिमिटेड को पत्र क्रमांक 1625 दिनांक 17/11/2022 लिख कर इसे कटनी जिले के निजी विक्रेताओं को प्रदाय करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
किसान और कारोबारियों को झटका
उल्लेखनीय है कि विभिन्न कम्पनियों और संस्थानो को आवंटित खाद का 70 प्रतिशत मार्कफेड अथवा शासकीय संस्थाओं के जरिये वितरित की जाती है। जबकि शेष हिस्सा निजी दुकानदारों के जरिये नगदी मे विक्रय होता है। ऐसे समय मे जब इंदवार सहित जिले के कई स्थानो पर यूरिया का स्टाक खत्म होने की खबरें आ रही हैं, जिले का हिस्सा ही गोल कर दिया गया है। जानकारों का मानना है कि यदि 120 टन यूरिया मिल जाती तो किसानो के सांथ ही सीजन मे उम्मीद लगाये व्यापारियों को भी कुछ न कुछ राहत जरूर मिल जाती।
राशिद खान की मिलीभगत
ऐसी भी खबर है कि यह घटना कृषि विभाग के प्रभारी उप संचालक राशिद खान की मिलीभगत से हुई है। आरोप है कि कटनी जिले के कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिये खान साहब ने वहां के उप संचालक की कार्यवाही का ना तो विरोध किया और नां ही वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भनक ही लगने दी। उनके निजी स्वार्थ और लापरवाही के कारण जिले के हालात पुन: बिगडने लगे हैं। कृषि के जानकारों का कहना है कि बिना यूरिया के फसलों की बोवाई नहीं हो सकती, यदि देर हुई तो जमीन सूख जायेगी। ऐसे मे यदि खाद संकट का समाधान नहीं हुआ तो किसानो के सामने गंभीर समस्या खड़ी होगी।
कटनी मे बिक रही उमरिया की खाद
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