कंचन खदान के विस्तार से 8 गांवों के लोंगो मे आक्रोश

जनसुनवाई के लिए बुलाए लोगों की बातें नहीं सुनी, खाना खिलाकर लौटाया
उमरिया। एसईसीएल जोहिला एरिया क्षेत्र की कंचन खुली खदान का विस्तार आठ गांवों मे किया जा रहा है जिसे लेकर किसानों और ग्रामीणों मे लगातार आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आक्रोश की वजह यह है कि किसानों और ग्रामीणों पर दबाव बनाकर उनकी जमीनें अधिग्रहित की जा रही है और दो दिन पहले इसी मामले पर जनसुनवाई के लिए बुलाई गई सभा मे किसी भी किसान को शिकायत करने का अवसर नहीं दिया गया। इस सभा मे न सिर्फ कॉलरी के अधिकारी शामिल हुए थे बल्कि जिला प्रशासन की तरफ से एडीएम एके अहोरी भी शामिल हुए थे। गांव के लोगों का कहना है कि उनकी बातें न सिर्फ सुनी जाए बल्कि उस पर अमल भी किया जाए। इस बारे में जानकरी देते हुए गया प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि जमीन के अधिग्रहण के लिए पूरी तरह से तानाशाही की जा रही है।
इन गांवो के 539 किसान प्रभावित
कंचन खुली खदान के विस्तार से करकेली जनपद क्षेत्र के जो आठ गांव प्रभावित हो रहे हैं उनमें करनपुरा, लहंगी, छुइहाई, धनवाही, परसेल, घुलघुली, गहराटोला, नौसेमर के नाम शामिल हैं कुछ समय पहले सिर्फ तीन गांव प्रभावित हो रहे थे और उस समय तीन गांव के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था। उक्त आठ गांवों के कुल 539 किसान कंचन परियोजना के विस्तार से प्रभावित हो रहे हैं जिन्हें मुआवजा देने की बात कही जा रही है।
बातों मे नहीं दम इसलिए नाराजगी
किसानों मे नाराजगी की असली वजह यह है कि कॉलरी के अधिकारी किसानों से जो भी बातें करते हैं मौखिक तौर पर करते हैं और कुछ भी लिखित मे नहीं देते। बाद मे वे अपनी बातों से या तो बदल जाते हैं या फि र वे स्थानान्तरण मे चले जाते हैं और नए आने वाले अधिकारी यह कहकर बातों को खारिज कर देते हैं कि उन्हें नहीं पता कि पिछले अधिकारी ने क्या कहा था। इस बार भी ऐसा ही कुछ हो रहा है।
सबको नहीं मिला मुआवजा
जिन किसानों की जमीन का सिंगल खाता था उन्हें तो मुआवजा दे दिया गया है लेकिन जिनके संयुक्त खाते हैं उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। जिनकी जमीनें अधिग्रहित की गई है उन्हें नौकरी देने का भी वादा किया गया है। इस मामले मे किसानों की नाराजगी यह है कि जब लगभग दस साल पहले कंचन खदान खुली थी उस समय भी प्रबंधन ने किसानों से मुआवजा और नौकरी का वादा किया था लेकिन अभी तक भी कई किसानों को इसका लाभ नहीं मिला है।
इन्होंने किया था पहले विरोध
कुछ समय पहले भी आमसभा की बैठक हुई थी जिसमें अधिग्रहण का विरोध किया गया था। उस समय ग्राम घुलघुली, परसेल एवं धनवाही के वरिष्ठ नागरिकों ने जमकर विरोध किया था। विरोध करने वालों मे रामबली सिंह, मोतीलाल गुप्ता, राम नरेश गुप्ता, उमेश सिंह, जमुना प्रसाद गुप्ता, महेंद्र गुप्ता, लाल गुप्ता, डॉ. केवल प्रजापति, मनोरंजन लाल विश्वकर्मा, राजेश विश्वकर्मा, रमेश सिंह, दशरथ सिंह, छोटेलाल सिंह, जियालाल गोसाईं, दानीलाल कोल, धनाई कोठार, रोशनलाल कोठार, सूरज गुप्ता, हेमचंद्र साहू, कमलभान विश्वकर्मा, बबली कुमार, हरिहर सिंह टेकन, सिंह दिनेश सिंह, नर्मदा सिंह, मनजतन सिंह, रामदास सिंह, रामफ ली सिंह, कैलाश सिंह, पूर्व जनपद अध्यक्ष उदय सिंह, राम सजीवन गोसाईं, राजू गोसाई, रूप लाल विश्वकर्मा, एवं दिनेश विश्वकर्मा एवं तीनों ग्राम के ग्रामवासी शामिल थे।
ग्रामीणों ने जमीन देने से किया था मना
एसईसीएल जोहिला एरिया क्षेत्र की कंचन खुली खदान से लगे आठ ग्राम के लोगों पर कॉलरी और जिला प्रशासन भूमि अधिग्रहण के लिए कई साल से दबाव बना रहा था। कंचन खदान से लगे ग्राम धनवाही, परसेल और घुलघुली के लोगों अधिग्रहण के लिए सहमत करने के लिए एक साल पहले एक आमसभा का आयोजन भी किया गया जिसमें तीनों गांव के लोगों को बुलाया गया पर तीनों ही गांव के लोगों ने अपनी जमीनें देने से साफ मना कर दिया था। दरअसल भूमि अधिग्रहण के लिए कॉलरी का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने नहीं आ रहा था बल्कि एसईसीएल की राजस्व शाखा के आरआई को भेजा जा रहा था।
उजड़ जाएगा बाजार
धनवाही और परसेल गांव तो उतने विकसित और महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि घुलघुली है। घुलघुली इस पूरे क्षेत्र के ग्रामों का बड़ा बाजार है। यहां के बाजार पर आसपास के लगभग चालीस से पैंतालीस ग्रामों के लोग जुड़े हुए हैं। कुल मिलाकर घुलघुली इस ग्रामीण क्षेत्र का बड़ा व्यापारिक केन्द्र है। यही कारण है कि अधिग्रहण का सबसे ज्यादा विरोध घुलघुली मे हो रहा है।
इनका कहना है
जब तक गांव के सभी लोग सहमत नहीं होते हैं कॉलरी को जमीन नहीं दी जाएगी। हम पर एनओसी के लिए दबाव डाला जा रहा है पर हम किसी दबाव मे नहीं आएंगे।
कस्तुरिया बाई सरपंच, घुलघुली
कॉलरी के अधिकारी सामने नहीं आ रहे हैं। न ही यह जानकारी दी जा रही है कि ग्रामीणों को वे क्या लाभ देंगे। यही कारण है कि यहां अधिग्रहण का विरोध हो रहा है।
ईश्वरदीन सिंह उपसरपंच, घुलघुली

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