राज्य निर्वाचन आयोग का फैसला
भोपाल । राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है कि ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर शेष सीटों पर यथावत कार्यक्रम के अनुसार ही पंचायत चुनाव होंगे। यह निर्णय आयोग ने शनिवार को आयोजित बैठक में लिया। इस फैसले के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर पंच तक 98 हजार 319 सीटों पर फिलहाल चुनाव नहीं होंगे। प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के पंचायत चुनाव के लिए जिला पंचायत सदस्य से लेकर पंच तक अब तक 14 हजार 525 अभ्यर्थी फॉर्म जमा कर चुके हैं। फिलहाल यह बैठक चल रही है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद आयोग शुक्रवार देर रात ओबीसी सीटों का चुनाव और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आज होने वाली आरक्षण की प्रक्रिया निरस्त कर चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद अब भोपाल के तीन वार्ड क्रमांक- दो, आठ और 10 में आने वाली 63 पंचायतों में चुनाव प्रभावित होंगे। शेष 47 पंचायतों में ही चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने से चुनाव की अधिसूचना ही खंडित हो गई है। इसके चलते नए सिरे से चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी या पूरा चुनाव ही स्थगित करना पड़ सकता है। फिलहाल आयोग के अंतिम फैसले का इंतजार है।
विवाद की यह है वजह
दरअसल, विवादों की जड़ में शिवराज सिंह चौहान सरकार का वह अध्यादेश है, जिसने कमलनाथ सरकार का फैसला पलटा था। 21 नवंबर को आए इस अध्यादेश के तहत जहां एक साल से चुनाव नहीं हुए हैं, वहां परिसीमन निरस्त हो जाएगा। इन जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों में पुरानी ही व्यवस्था रहेगी। कमलनाथ सरकार ने सितंबर 2019 में प्रदेश में जिले से ग्राम पंचायतों तक नया परिसीमन लागू किया था। इसके बाद 1,200 नई पंचायतें बनी थीं। 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त किया था। 1,950 पंचायतों की सीमा में बदलाव हुए थे। कांग्रेस इसी अध्यादेश के खिलाफ हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ रहा है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि अध्यादेश से रोटेशन की व्यवस्था खत्म हो गई है और 2014 के आधार पर चुनाव हो रहे हैं। यह पंचायत राज अधिनियम और संविधान के मूल भावना के खिलाफ है।
21 दिसंबर को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव एवं नगर निगम, नगर पालिका चुनाव नहीं करा सकती। त्रिस्तरीय चुनावों को निरस्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ओबीसी आरक्षण के लिए आयोग का गठन करते हुए ट्रिपल टेस्ट के तहत ओबीसी जनसंख्या के आर्थिक एवं सामाजिक आकलन करें। उसके बाद ही ओबीसी को पंचायत एवं नगर पालिका, नगर निगम चुनावों 27 प्रतिशत आरक्षण देना सुनिश्चित करें। अगर प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव कराए, तो हम उच्च न्यायालय, जबलपुर में 21 दिसंबर 2021 को रोटेशन के आधार पर आरक्षण के साथ-साथ संवैधानिक दायरे में ओबीसी आरक्षण की मांग करेंगे।
नहीं टलेंगे चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया निरस्त कर दी है। जल्द ही इन पर फैसला लिया जाना है। राज्य निर्वाचन आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने शनिवार को अफसरों की बैठक बुलाई। इस बैठक में तय किया गया कि आरक्षण और परिसीमन का विषय राज्य सरकार का है। राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर काम करेगा। यानी इस समय ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर ही चुनाव प्रक्रिया निरस्त हुई है। इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। राज्य निर्वाचन आयोग एक-दो दिन में इस पर फैसला ले सकता है।
सरकार ने कोर्ट में सही तरीके से पेश नहीं किया केस
छिंदवाड़ा।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण रद्द करने के फैसले को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने कोर्ट में मध्य प्रदेश का केस सही तरीके से पेश नहीं किया। हम इस बात का पूरा विरोध करते हैं। कमलनाथ ने चुनाव में पिछड़ी जाति ओबीसी का आरक्षण समाप्त किए जाने को लेकर कहां की पिछड़ी जाति ओबीसी का आरक्षण को समाप्त किया गया है हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। फिलहाल उन्होंने इस फैसले के बाद सरकार को एक बार फिर से आड़े हाथों लेकर कहा कि भाजपा ने कोर्ट में मध्य प्रदेश का सही केस नहीं रखा इसलिए ऐसा फैसला आया है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के पास सिर्फ पैसा और पुलिस बची हुई हैं।