ऑनलाइन पेमेंट में भारत सबसे आगे

पहली बार एक मंच पर मोदी-CJI रमना,वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जिला कोर्ट में 1 करोड़ केसों की सुनवाई
नई दिल्ली। भारत में पहली बार हो रहे ऑल इंडिया डिस्ट्रिक लीगल सर्विस अर्थोरिटी मीट में भाग लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे। यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक साथ कोई मंच शेयर किया हो। मोदी ने कहा- हमारे गांव-गांव में लोग ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। दुनिया का चालीस फीसदी ऑनलाइन पेमेंट भारत में होता है। इसमें हम सबसे आगे हैं।मोदी ने अपना भाषण श्लोक सुनाकर शुरू किया। वे बोले- अङ्गेन गात्रं नयनेन वक्त्रं न्यायेन राज्यं लवणेन भोज्यं। यानी जिस तरह विभिन्न अंगों से शरीर की, आंखों से चेहरे की, नमक से भोजन की सार्थकता पूरी होती है, वैसे ही न्याय से शासन की सार्थकता होती है। हमारे देश सामान्य से सामान्य व्यक्ति को यह विश्वास है, जब कोई नहीं सुनेगा, तब न्यायालय के दरवाजे खुले हैं। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये अहसास दिलाता है कि देश उसके अधिकारों की रक्षा कर रहा है।मुझे बताया गया है कि हमारे देश में जिला कोर्ट में एक करोड़ से ज्यादा केस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने जाते हैं। साठ लाख केस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स में भी सुने गए हैं। यह अच्छा मैसेज है कि हम खुद को लगातार बदल रहे हैं। इसका श्रेय आप सभी को जाता है। मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा- आप सभी (जजों) के बीच आना बड़ा सुखद होता है, लेकिन बोलना कठिन हो जाता है।
न्याय के लिए कोर्ट कम लोग पहुंचते: सीजेआई रमण
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण ने न्याय तक पहुंच को ‘सामाजिक उद्धार का उपकरण’ बताते हुए शनिवार को कहा कि जनसंख्या का बहुत कम हिस्सा ही कोर्ट में पहुंच सकता है और अधिकांश लोग जागरुकता एवं आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। न्यायमूर्ति रमण ने अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की पहली बैठक में कहा कि लोगों को सक्षम बनाने में प्रौद्योगिकी बड़ी भूमिका निभा रही है। उन्होंने न्यायपालिका से ‘न्याय देने की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरण अपनाने’ का आग्रह किया। अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यायपालिका से आग्रह किया कि वह विभिन्न कारागारों में बंद एवं कानूनी मदद का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाये। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘न्याय: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक – न्याय की इसी सोच का वादा हमारी (संविधान की) प्रस्तावना प्रत्येक भारतीय से करती है। वास्तविकता यह है कि आज हमारी आबादी का केवल एक छोटा प्रतिशत ही न्याय देने वाली प्रणाली से जरूरत पड़ने पर संपर्क कर सकता है। जागरुकता और आवश्यक साधनों की कमी के कारण अधिकतर लोग मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था।
लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना
लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना है। सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी। न्याय तक पहुंच सामाजिक उद्धार का एक साधन है।’ विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता देने और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने को लेकर प्रधानमंत्री की तरह उन्होंने भी कहा कि जिन पहलुओं पर देश में कानूनी सेवा अधिकारियों के हस्तक्षेप और सक्रिय रूप से विचार किए जाने की आवश्यकता है, उनमें से एक पहलू विचाराधीन कैदियों की स्थिति है।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और अटॉर्नी जनरल ने मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के हाल में आयोजित सम्मेलन में भी इस मुद्दे को उठाकर उचित किया। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) विचाराधीन कैदियों को अत्यावश्यक राहत देने के लिए सभी हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है।’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि भारत, दुनिया की दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, जिसकी औसत उम्र 29 वर्ष साल है और उसके पास विशाल कार्यबल है। लेकिन कुल कार्यबल में से मात्र तीन प्रतिशत कर्मियों के दक्ष होने का अनुमान हैं। चीफ जस्टिस ने जिला न्यायपालिका को दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की न्याय देने की प्रणाली के लिए रीढ़ की हड्डी बताया। उन्होंने 27 साल पहले नालसा के काम करना शुरू करने के बाद से उसके द्वारा दी सेवाओं की सराहना की। उन्होंने लोक कोर्ट और मध्यस्थता केंद्रों जैसे वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि जनसंख्या का बहुत कम हिस्सा ही अदालतों में पहुंच सकता है और अधिकतर लोग जागरूकता और आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। लोगों को सक्षम बनाने में तकनीक की बड़ी भूमिका निभा रही है। उन्होंने न्यायपालिका से न्याय देने की गति बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरण अपनाने की अपील की।
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