ऊपर तक पहुंचाने के लिये पैसा मांग रही थी मैडम
आबकारी अधिकारी को ट्रैप कराने वाले फरियादी ने लगाये गंभीर आरोप
बांधवभूमि, उमरिया
शराब रिश्वत मामले मे आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता को ट्रैप कराने वाले फरियादी द्वारा लगाये गये आरोपों ने एक बार फिर विभागीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा दिये हैं। दरअसल लोकायुक्त की कार्यवाही के बाद ठेकेदार के कर्मचारी निपेन्द्र सिंह ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि आबकारी अधिकारी उससे वीआईपी खर्च मांग रहीं थी। मैडम ने साफतौर पर उससे कहा कि उन्हे ऊपर से नीचे तक पैसा देना पड़ता है। केवल तुम ही नहीं जिले के हर शराब दुकान से 30 हजार रूपये प्रतिमांह की वसूली होती है। इस दौरान कर्मचारी ने कई नेताओं और अधिकारियों को भी लपेट कर जिले मे नया तूफान खड़ा कर दिया है।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक ठेकेदार अनिल सिंह के विंध्या कालोनी शराब दुकान मे कार्यरत निपेंद्र सिंह पिता नारेंद्र सिंह निवासी ग्राम एवं थाना अमलाई तहसील बुढार जिला शहडोल द्वारा आबकारी अधिकारी श्रीमती रिनी गुप्ता के विरूद्ध 1 लाख 20 हजार रूपये रिश्वत मांगे जाने की शिकायत की गई थी। जिस पर लोकायुक्त के उप अधीक्षक प्रवीण सिंह परिहार के नेतृत्व मे निरीक्षक प्रमेंद्र कुमार सहित 15 सदस्यीय टीम ने मंगलवार को संयुक्त कलेक्ट्रेट स्थित आबकारी अधिकारी कार्यालय पहुंच कर श्रीमती गुप्ता को रकम लेते हुए ट्रैप किया था।
पहले सिस्टम मे आओ
ठेकेदार अनिल सिह बघेल के कर्मचारी निपेन्द्र सिंह ने मीडिया को बताया कि मैडम रिनी गुप्ता लगातार उस पर पैसे देने का दबाव बना रही थी। बात न मानने के कारण हाल ही मे उसके दुकान से 14 पेटी वैद्य शराब बरामद कर ली गई थी। जब उनसे कहा गया कि यह तो ड्यूटी पेड बिल का माल हो, तो जवाब मे अधिकारी ने कहा कि जब तक सिस्टम मे नहीं आओगे, ऐसी ही कार्यवाहियां होंगी। यह वीआईपी खर्च है, जो ऊपर से नीचे सबको मैनेज करने के लिये देना पड़ता है। अंत मे सौदा प्रति मांह 30 हजार की दर से तय हुआ था। मजबूर हो कर निपेन्द्र को मामले की शिकायत
लोकायुक्त से करनी पड़ी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही
इस संबंध मे जानकारी देते निरीक्षक प्रमेन्द्र कुमार ने बताया कि जिला आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता को शराब कारोबारी से 1.20 लाख रूपये की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया गया है। आरोपी के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा रही है। कार्यवाही मे डीएसपी प्रवीण सिंह, प्रधान आरक्षक मुकेश मिश्र, पवन पांडे, सुरेश कुमार, सुजीत साकेत, धर्मेंद्र जायसवाल, प्रेम सिंह, महिला एएसआई रन्नू देवी, आरक्षक प्रिया शुक्ल समेत 15 सदस्यीय टीम मौजूद थी।
नगर पालिका की सहमति के बिना खुलवा दी दुकान
आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता की कार्यप्रक्रिया प्रारंभ से ही विवादों से भरी रही। उनके कार्यकाल मे अवैध शराब की पैकारी तेजी से बढ़ी। इस फर्जीवाड़े मे विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारियों का भी बड़ा हांथ था। दिखावे के लिये वे जिले मे महुआ लाहन और कच्ची शराब की धरपकड़ तो करते रहे परंतु बड़े माफियाओं के गिरेबान तक उनके हांथ कभी नहीं पहुंचे। इसका कारण यही महीनाबंदी थी। इतना ही नहीं तमाम विरोध के बावजूद बिना नगर पालिका की सहमति के श्रीमती गुप्ता ने उमरिया मे सब्जीमंडी के पास ठेका संचालित करा दिया। नागरिकों मानना है कि इस मामले की भी जांच होनी चाहिये।