उर्वरा शक्ति की दुश्मन है नरवाई की आग

उप संचालक कृषि ने की किसानो से अपील, नाडेप पद्धति से बनायें खाद
उमरिया। उप संचालक कृषि खेलावन डेहरिया ने जिले के किसानों से नरवाई न जलाने की अपील की है। उन्होने कहा है कि फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाई) जलाने से एक ओर जहां खेतों मे अग्नि दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, वहीं मिट्टी की उर्वरकता पर भी विपरीत असर पड़ता है। साथ ही इसके धुएं से बनने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड वायु मे प्रदूषण पैदा करती है। श्री डेहरयिा के मुताबिक मिट्टी की उर्वरा लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह मे ही होती है जिसमे खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से ये नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है। उन्होने कहा कि नरवाई जलाने की बजाय इसे एकत्रित कर जैविक खाद बनाने मे उपयोग किया जाय तो बहुत लाभदायक होगा। नाडेप तथा वर्मी विधि से नरवाई से जैविक खाद आसानी से बनाई जा सकती है। इस खाद मे फसलों के लिए पर्याप्त पोषक तत्व रहते हैं। इसके आलावा खेत मे रोटावेटर अथवा डिस्क हैरो के माध्यम से फसल के बचे हुए भाग को मिट्टी में मिला देने से मिट्टी की गुणवत्ता मे सुधार होता है।

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