उमस भरी गर्मी कर रही बीमार

आसमान से गायब हुए बादल, ग्लोबल वार्मिग से बदले मानसून के तेवर
बांधवभूमि, उमरिया
इस वर्ष अप्रेल-मई मे रह-रह कर हुई बारिश फिर आग भरे जून का तापमान सहने के बाद जुलाई मे आये संतोषप्रद मानसून ने लोगों को काफी राहत दी थी। ऐसा लग रहा था, जैसे देर आये दुरूस्त आये की तर्ज पर बारिश अब धरती को तृप्त कर ही देगी। करीब एक सप्ताह तक झमाझम बारिश के कारण नकेवल नदी-तालाबों का जलस्तर बढऩे लगा, बल्कि गर्मी के तेवर भी उतर गये, परंतु मौसम ने एकबार फिर से करवट ले ली है। आसमान से बादल गायब हैं और उमस भरी गर्मी ने जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया है। जिले का तापमान हलांकि 35-36 के आसपास बना हुआ है, परंतु तेज धूप और चिपचिपाती गर्मी के कारण बेचैनी का एहसास हो रहा है। हालत यह है कि केवल एसी को छोड़ अन्य कोई भी उपकरण इससे राहत नहीं दिला पा रहे हैं।
मानसूनी बादलों से कोई उम्मीद नहीं
सावन का महीना सुहावने मौसम और रिमझिम बरसात के लिये जाना जाता है, लेकिन ग्लोबल वार्मिग के चलते लोगों को जेठ, बैशाख जैसी गर्मी का सामना करना पड़ रहा हैं। मौसम कार्यालय के मुताबिक अगले 4-5 दिनों तक बारिश की कोई संभावना नही है। स्थानीय बादलों की वजह से जिले के कुछ स्थानों में खंड-खंड वर्षा हो सकती है। विभाग के जानकारों का कहना है कि स्थानीय बादल यदि बरसे तो ठीक, अन्यथा मानसूनी बादलों से अभी राहत की कोई उम्मीद नहीं है।

बढ़ा जहरीले जीवों का खतरा
बारिश का दौर थमने से बढ़ी उमस भरी गमी इंसानो के लिये ही नहीं पशुओं के लिये भी मुसीबत का सबब बन गई है। इस वजह से जहरीले सांप, बिच्छू, गोह जैसे जानलेवा जहरीले जीव-जंतु बिलों से निकल कर खुले स्थानो पर आ जाते हैं। पिछले कुछ दिनो मे सर्पदंश की घटनायें तेजी से बढ़ी हैं। इसी तरह गर्मी और मच्छरों से बचने के लिये सैकड़ों गाय-बैल विभिन्न सडक़ों पर जमावड़ा लगा रहे हैं। इससे जहां आये दिन सडक़ दुर्घटनायें हो रही हैं, वहीं कई मूक पशुओंं को अपनी जान से हांथ धोना पड़ रहा है।
संक्रामक बीमारियों ने पसारे पांव
गर्मी और उमस के कारण वायरल संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ा है। विशेष कर लोगों को सर्दी, सरदर्द, खांसी, बुखार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अस्पतालों मे मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गई है। इन दिनो सबसे ज्यादा रोगी एडिनो वायरस अर्थात आंख आने की समस्या से ग्रसित हैं। जानकारी के मुताबिक इस वायरस का संक्रमण होते ही सबसे पहले आंखें लाल होने के सांथ उनमे खुजली व जलन शुरू हो जाती है। शहर और ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों मे इस समस्या से जुड़े मरीज भारी संख्या मे पहुंच रहे है।
सूख रही धान की नर्सरी
बारिश न होने से किसानो की मुसीबत भी बढ़ गई है। खेतों मे लगी धान की नर्सरी कुम्हलाने लगी है, जिससा उनकी लागत डूबने का खतरा पैदा हो गया है। मानसून की अच्छी संभावनाओं को देखते हुए इस बार भी अधिकांश किसानो ने धान के खेती की तैयारी की है। इसके लिये हजारों रूपये का बीज खरीद कर पौधे लगाये गये हैं, परंतु बारिश न होने और तेज गर्मी के कारण कोमल नर्सरी खराब हो रही है। उनका कहना है कि यदि जल्दी ही बरिश नहीं हुई तो रोपा लगाना तो दूर नर्सरी का बचना ही मुश्किल हो जायेगा।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *