उमरार मे सिर्फ 15 फीसदी पानी

उमरार मे सिर्फ 15 फीसदी पानी
बारिश की बेरूखी से पेयजल संकट का खतरा, जिले के अधिकांश बांध खाली
उमरिया। मानसून की बेरूखी के कारण बारिश के मौसम मे ही लोगों के सामने पेयजल संकट का खतरा उत्पन्न हो गया है। आलम यह है कि झमाझम बरसात के लिये जाना जाता जुलाई मांह आधे से अधिक बीत चुका है पर बारिश का आंकडा अभी 300 एमएम तक भी नहीं पहुंच पाया है। यही कारण है कि जिले के अधिकांश जलाशय खाली पड़े हैं। जिला मुख्यालय को पेयजल आपूिर्त करने वाले उमरार बांध मे तो सिर्फ 15 फीसदी पानी ही बचा है। जानकारी के मुताबिक 16.7 एमसीएम क्षमता वाले इस जलाशय मे केवल 2.67 एमसीएम पानी है। यदि यही हाल रहा तो इस बार उमरार से सिचाई का पानी मिलना भी मुश्किल हो जायेगा। गौरतलब है कि शहर और आसपास के दर्जनो गांवों के सैकड़ों किसान पूरी तरह से उमरार पर आश्रित हैं। इस समस्या से उनकी फसलों पर संकट मंडराने लगा है।
616.9 एमएम कम वर्षा
प्री मानसून के सांथ हुई बारिश ने इस बार लोगों मे बेहतर उम्मीद जगाई थी, लेकिन जून के दूसरे पखवाड़े के बाद से जैसे बादल रूठ ही गये हैं। पिछले साल इस समय तक जिले मे जहां 877.5 एमएम औसत बारिश हुई थी वहीं इस वर्ष अब तक मात्र 260.6 एमएम पानी ही गिरा है। इस लिहाज से 616.9 एमएम बारिश कम हुई है। जिले मे औसत बारिश का आंकड़ा 1215.7 एमएम है। इसके मुकाबले बीते वर्ष 1539 एमएम वर्षा हुई थी।
26 मे से 22 जलाशय सूखे
गौरतलब है कि जिले मे छोटे-बड़े मिलाकर कुल 26 जलाशय हैं। जिनमे 22 मे 0 से 25 प्रतिशत, 2 मे 25 से 50 प्रतिशत और 2 मे 50 से 75 प्रतिशत पानी है। विभाग के मुख्य कार्यपालन यंत्री आरडी अहिरवार ने बताया है कि उमरार के अलावा मानपुर जनपद के महरोई जलाशय मे भी सिर्फ 15 प्रतिशत पानी शेष बचा है। केवल जंगल मे स्थित बमेरा और गढ़पुरी जलाशय ही 50 फीसदी भरे हुए हैं।
गर्मी से बेहाल जनजीवन
बारिश न होने से गर्मी अपने चरम पर हैं। जिले मे अधिकतम तापमान अभी भी 38 से 40 डिग्री के बीच बना हुआ है। उमस भरी गर्मी के चलते कूलर और पंखे भी बेअसर साबित हो रहे हैं। दूसरी ओर गर्मी के कारण बारिश मे बिजली की खपत कम होने की बजाय और बढ़ गई है। लोड की अधिकता से बिजली आपूर्ति भी बार-बार प्रभावित हो रही है।

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