उभरने लगे बगावत के सुर
कोयलांचल मे मना कालादिवस, आशा-ऊषा कार्यकर्ता भी हुए लामबंद
उमरिया। केन्द्र और राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ जनता और कर्मचारियों मे अंदरखाने पनप रहा असंतोष अब सतह पर आने लगा है। इसका मुख्य कारण वर्तमान हालात और अपने भविष्य को उनकी चिंतायें है, जिनका निदान बीते कई वर्षो से नहीं हो पा रहा है। हालत यहां तक आ पहुंची है कि कभी अपनी लोकप्रियता के झण्डे गाडऩे वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथग्रहण की वर्षगांठ पर श्रमिक संगठनो को कालादिवस मनाने के लिये बाध्य होना पड़ रहा है।
निजीकरण से खफा श्रमिक संगठन
मोदी के पीएम बनने की वर्षगांठ पर किसान और श्रमिक संगठनो द्वारा घोषित कालादिवस का असर जिले के कोयलांचल मे देखने को मिला। जिले मे स्थित एसईसीएल जोहिला क्षेत्र की सभी खदानो मे श्रमिकों ने काली पट्टी बांध कर नारेबाजी की। विरोध प्रदर्शन मे इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस शामिल हुए। इस मौके पर श्रमिक नेताओं और कालरी कामगारों ने पीएम मोदी पर सात सालों मे देश को बर्बाद करने का आरोप लगाया। उनकी मांगों मे कोविड से बचाव हेतु सभी को मुफ्त वैक्सीन, लाक डाउन से प्रभावित बेरोजगारों को 6 माह का मुफ्त राशन एवं 7500 रूपये की आर्थिक सहायता, तीनों कृषि कानून व बिजली संशोधन बिल रद्द करना, एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाना, चारो लेबर कोड रद्द करना, श्रम सम्मेलन का तुरंत आयोजन करना, निजीकरण तथा कार्पोरेट के इशारे पर नीतियां बनाना बंद करना प्रमुख है।
आशा, ऊषा को मिले 18 हजार मानदेय
सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन मे मुख्य भूमिका निभाने वाली आशा और ऊषा कार्यकर्ता भी अपने मांगों को लेकर लामबंद हो रही हैं। विगत दिवस इनकी बैठक का आयोजन श्रीमती पुष्पलता श्रीवास्तव की अध्यक्षता मे हुआ। इस मौके पर आशा, ऊषा कार्यकर्ता संघ बनाने पर सहमति बनी है। बैठक मे श्रीमती सीमा यादव को ऊषा कार्यकर्ता को प्रतिनिधि बनाया गया। आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं का कहना है कि शासन-प्रशासन के हर दिशा-निर्देश का पालन करने के बावजूद उन्हे मात्र 2000 रूपये मानदेय मिल रहा है। इस मंहगाई के दौर मे इतनी राशि से गुजारा होना मुश्किल है। बीएमएस के जिला मंत्री राजेश द्विवेदी ने बताया कि संघ ने केंद्र और प्रदेश सरकार से अपील की है कि समान कार्य, समान वेतन की नीति के तहत आंगनवाड़ी, आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं को कम से कम 18 हजार रूपये प्रतिमांह मानदेय दिया जाय।
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल जारी
इधर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। ऐसे मे जबकि गुरूवार को जिले मे कोरोना टीकाकरण के सत्र फिर से शुरू होने जा रहे हैं, बगैर कर्मचारियों के समस्या आनी तय है। गौरतलब है कि अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर के संविदा स्वास्थ्य कर्मी आंदोलन पर हैं। उमरिया जिले के भी सभी 226 संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी इसमे शामिल हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग के कई महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अभी तक सरकार की ओर से इस संबंध मे कोई पहल नहीं की गई है।