1 मई 2021, स्थापना दिवस पर
विशेष संपादकीय
दैनिक बांधवभूमि आज अपनी स्थापना के 12 वर्ष पूर्ण कर 13वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आमतौर यह समय उत्साह और उत्सव का होता है पर जो परस्थितियां देश मे निॢमत है, उससे बांधवभूमि परिवार भी मर्माहत है। कोरोना महामारी ने पूरे भारत वर्ष को अपनी गिरफ्त मे ले लिया है। अस्पताल से लेकर श्मशान तक सिर्फ मौत की चीत्कार और अपनो से विछोह का क्रंदन सुनाई देता है। ऐसा नहीं है कि इस महामारी ने तैयारी का मौका नहीं दिया। मौका बराबर मिला लेकिन विस्तारवादी मानसिकता, अहंकार और निठल्लेपन ने उसे खो दिया। हालात इतने बदतर हुए कि मरीजों की मौत बीमारी से नहीं वरन अस्पतालों मे पसरी बदइन्तजामियों से होने लगी। मौके पर न डॉक्टर हैं, न बेड, ऑक्सीजन और ना ही दवाएं। लोग कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर उठाये यहां से वहां दौड़ रहे हैं। कितनों की मौत इस अस्पताल से उस अस्पताल तक आने-जाने और भर्ती की मिन्नतों के दौरान ही हो गई और कई बेकसूर रात मे ऑक्सीजन खत्म हो जाने से मौत के मुंह मे समा गए। आज दैनिक बांधवभूमि के प्रकाशन की 12वीं वर्षगांठ है। यह सफर अनेकानेक खट्टे-मीठे अनुभवों का सफर है। संस्था के पितृ पुरूष पं.अर्जुनदास शर्मा ने जनसेवा के जिन उद्देश्यों से यह पौधा रोपित किया था, पत्र उस पर नसिर्फ खरा उतरा बल्कि जनता के दिलों मे निर्भीकता और निष्पक्षता की मिसाल बनने मे भी कामयाब रहा, पर यह उप्लाब्धि भी मन को सुकून नहीं दे पा रही। बड़े बुजुर्ग बताते थे कि महामारियां आती थी तो गांव के गांव और शहर खाली हो जाते थे। वर्तमान पीढ़ी संभवत: वैसी ही महामारी के साथ आधुनिक भारत का हश्र भी देख रही है कि किस तरह सरकारें सैकड़ों प्रकार का टेक्स लूटने के बावजूद जनता को महज एक बेड, एक रेमडेसिवीर इजेक्शन या ऑक्सीजन तक मुहैया नहीं करा पा रहीं। सभी को जैसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।
आज देश की हर एक आंख नम है लेकिन लाशों पर राजनीति करने वाले सत्तालोलुप नेता, उनके चापलूस नौकरशाहों और भांड़गिरी में जुटे कुछ मीडिया के लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी नजर में यह एक मामूली घटना से ज्यादा कुछ भी नहीं है। मैं देश हुक्मरानों से कहना चाहता हूं कि भारत वैक्सीन बांटने और 5 ट्रिलियन इकोनॉमी वाला देश भले न बने, बस इतनी व्यवस्था कर दें कि किसी की मां, कोई बेटा, कोई पिता या कोई संबंधी दवा के अभाव में न मरे, किसी को भूंख से अपने प्राण न गवाने पड़े। वास्तव में यही अच्छे और सच्चे दिन होंगे।
दैनिक बांधवभूमि जनता की आवाज को उसी हिम्मत और बुलंदी के साथ सत्ता के गलियारों तक पहुंचाता रहेगा। न्याय का संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। इस दुख की घड़ी मे हम सब सांथ हैं। आपके अमूल्य स्नेह, प्रेम और विश्वास के लिए धन्यवाद।
जय हिंद
राजेश शर्मा