6 मरीजों में वायरस का UK वैरिएंट मिला, इनमें से किसी के विदेश जाने की हिस्ट्री नहीं, शहर में लग सकता है नाइट कर्फ्यू
इंदौर कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने नया स्ट्रेन मिलने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘वायरस का नया वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है। इसलिए संक्रमण तेजी से फैल सकता है, इसीलिए रोको-टोको अभियान काे ज्यादा तेजी और ताकत से लागू करना होगा। सीएम ने भी इसे सख्ती से रोकने के निर्देश दिए हैं। शहर में 3 दिन तक हालात पर नजर रखी जाएगी, संक्रमण कम नहीं होने पर नाइट कर्फ्यू पर विचार किया जाएगा।
10 से 40 साल के हैं नए स्ट्रेन के मरीज
संक्रमितों में राजेंद्र नगर का एक, तेजाजी नगर इलाके के तीन, पलासिया इलाके का एक और प्रेम नगर इलाके का एक पेंशेंट शामिल हैं। नया स्ट्रेन 10 से 40 साल की उम्र के मरीजों में मिला है। सभी मरीज पुरुष हैं और संक्रमण के बाद होम आइसोलेशन में हैं। इसमें से किसी भी मरीज की विदेश आने-जाने की हिस्ट्री नहीं है। इंदौर में इससे पहले विदेश से आए दो लोगों में UK स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी।
तेजी से नए केस मिलने के बाद जांच के लिए भेजे गए सैंपल
कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा ने शहर में तेजी ने नए केस मिलने के बाद सैंपल दिल्ली भेजने के निर्देश दिए थे। इसके लिए अलग-अलग लेबोरेटरी से चुने गए 100 से ज्यादा सैंपल दिल्ली भेजे गए थे। इन सैंपल के लिए अलग-अलग केस चुने गए। 51 सैंपल असिम्टोमेटिक या अत्यंत कम लक्षण वाले, 27 सैंपल अचानक हार्ट अटैक से मौत वाले और 17 सैंपल सेंट्रल लैब से लिए गए थे। बुरहानपुर में अचानक हुई मौतों के 3 सैंपल भी दिल्ली भेजे गए थे।शहर के डॉक्टर सलिल साकल्ले ने बताया कि पिछले 6 दिन में सामने आए कोरोना केसों के मैपिंग डेटा और दोबारा संक्रमित होने वालों की जानकारी इकट्ठा की गई थी। संक्रमित मरीजों में एंटीबॉडी लेवल के आंकड़े भी जुटाए गए थे। जिले के एक्टिव कोरोना केस में असिम्टोमेटिक, होम आइसोलेटेड और अस्पताल में इलाज करवा रहे लोगों की जानकारी भी शामिल की गई थी। इसके बाद ही वायरस के जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए सैंपल भेजने का फैसला किया गया था।
क्या होती है वायरस का जीनोम सीक्वेंसिंग
जीनोम सीक्वेंसिंग (अनुक्रमण) के जरिए किसी भी वायरस के DNA का अध्ययन किया जाता है। इसके जरिए DNA में मौजूद चार तत्त्व एडानीन, गुआनीन,, साइटोसीन और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है। इस तरीके से बीमारी का मूल कारण जानकर उसका समय पर इलाज करना और अगली पीढ़ी को रोग से बचाना संभव है।