आरोपी अपराध के वक्त नाबालिग, तब सजा मिलने के बाद भी उम्र के आधार पर रिहाई मांग सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हत्या के आरोपी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम व्यवस्था दी है। अदालत ने कहा है कि अगर कोई आरोपी अपराध के वक्त नाबालिग था, तब वह सजा मिलने के बाद भी उम्र के आधार पर रिहाई मांग सकता है। शीर्ष अदालत ने व्यवस्था देकर उत्तरप्रदेश के महाराजगंज जिले में हुई हत्या के आरोपी को रिहा किया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और अभय एस ओका ने फैसला सुनाकर कहा कि वैसे आरोपी का मामला किशोर न्याय बोर्ड के पास भेजा जाना चाहिए। ताकि वह उसके मामले में फैसला सुना सके। लेकिन चूंकि मामले में आरोपी पहले ही 17 साल जेल में बिता चुका है, इसकारण आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले महाराजगंज के किशोर न्याय बोर्ड से संबंधित आरोपी की उम्र की पुष्टि भी हुई। बोर्ड ने जांच के बाद इसी मार्च के महीने अपना आदेश पारित किया। इसमें बताया कि आरोपी का जन्म 16 मई 1986 का है। इस हिसाब से 8 जनवरी 2004 को जिस वक्त हत्या का अपराध हुआ, उसकी उम्र 17 साल, 7 महीने, 23 दिन थी, यानी वह नाबालिग था।
मामले का आरोपी तिहरे हत्याकांड में अन्य आरोपियों के साथ दोषी ठहराया गया था। उसे मई 2006 में सत्र अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। फैसले के खिलाफ पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय से और अगस्त 2009 में सुप्रीम कोर्ट से भी दोषियों की अपील खारिज हो गई। इस दौरान बचाव पक्ष के वकील का इस तथ्य की तरफ ध्यान ही नहीं गया कि हत्याकांड के वक्त आरोपी नाबालिग था।अगर यह तथ्य सामने आ जाता,तब आरोपी का मामला किशोर न्याय बोर्ड में चलता। उस अधिकतम 3 साल तक किशोर अपराधियों के लिए नियत सुधार गृह में रखे जाने की सजा मिलती और रिहा कर दिया जाता। लेकिन उस 17 साल जेल में बिताने पड़ गए। आरोपी करीब 12 साल तक अपनी रिहाई के सभी विकल्प आजमाता रहा। इसके बाद, उसने अपनी समय-पूर्व रिहाई के लिए एक बार फिर कोशिश की। इस बार आरिफ अली और मोहम्मद इरशाद हनीफ नाम के दो वकीलों की उसने मदद ली। उन्होंने जब दस्तावेज का अध्ययन किया,तब पाया कि उसका मुकदमा किशोर न्यायालय में चलना चाहिए था। क्योंकि वारदात के वक्त वह नाबालिग था। लेकिन चूंकि मुकदमा बंद हो चुका था, इसकारण वकीलों ने 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां आरोपी के नाबालिग होने का मसला उठाते हुए उसकी रिहाई की मांग की, जो कि अब सुनिश्चित हो सकी है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *