आंधी से टूटा पावर प्लांट का रीक्लेमर

आंधी से टूटा पावर प्लांट का रीक्लेमर
प्रबंधन की लापरवाही से संगांतावि केन्द्र को लगी लाखों की चपत
उमरिया। धांधली और भ्रष्टाचार के लिये कई बार पूरे देश मे ख्याति बटोर चुके जिले के संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र पर प्रकृति का कोप भी कहर बरपाने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। विगत दिनो चली तेज आंधी के कारण प्लांट मे लगा स्ट्रैकर रीक्लेमर धाराशायी हो गया। करोड़ों रूपये की लागत से स्थापित रीक्लेमर अत्यंत महत्वपूर्ण मशीन है जो प्लांट के यार्ड की जमीन से कोयला उठाने का काम करता है। बताया गया है कि संयंत्र की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हादसा हुआ है। गनीमत यह रही कि इस घटना मे कोई जनहानि नहीं हुई। प्लांट मे हुए इस भारी नुकसान के पीछे घोर लापरवाही की बात भी सामने आई है। जानकारों का मानना है कि प्रबंधन द्वारा रीक्लेमर को ख्ुाला छोड़ दिया गया। हवा के दबाव से पहले तो यह कई मीटर आगे-पीछे होता रहा, फिर अचानक टूट कर बिखर गया।
फिर कैसे मिलता कमाई का मौका
सूत्रों का दावा है कि समय रहते स्ट्रैकर रीक्लेमर को लॉक कर दिया जाता तो संभवत: ना तो यह टूटता और नां ही प्लांट को लाखों रूपये की चपत लगती। दूसरा सवाल यह भी है कि यदि ऐसा होता तो यहां के भ्रष्ट अधिकारियों को माल कमाने का मौका कैसे मिलता, जो हमेशा से आपदा मे अवसर तलाशने का काम करते हैं। चाहे प्लांट के मेंटीनेन्स का मामला हो, खरीदी का या फिर कोई और। इन अधिकारियों को सिर्फ और सिर्फ ऐसी घटनाओं का इंतजार रहता है, जिससे अपनी जेबें भरी जा सकें। यही कारण है कि इस घटना के पीछे भी किसी साजिश का संभावना जताई जा रही है।
निजी हाथों मे सौंपने की साजिश
केन्द्र और सरकार की निजीकरण नीति पर भी लोगों की काफी शंकायें हैं। कई श्रमिक संगठनो का दावा है कि सरकार लाभ मे चलने वाले संयंत्रों को एक सोची-समझी रणनीति के तहत पहले घाटे मे लाकर निजी हाथों मे सौंपने का बहाना तलाशती रहती है। यही हाल संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र का भी करने की तैयारी है। इस बात की पुष्टि संयंत्र मे क्षमता से हो रहे कम उत्पादन से भी होती है। जानकारी के अनुसार वर्तमान मे संयंत्र की 5 मे से 3 यूनिट चालू है, इनमे से 1 नंबर की क्षमता 210, 2 की 210 तथा 5 नंबर की 500 मेगावाट है जबकि उत्पादन इसका करीब आधा हो रहा है। वहीं 210 मेगावाट क्षमता वाली यूनिट क्रमांक 2 और 3 कोयला शार्टेज के नाम पर विगत 26 अप्रेल से बंद पड़ी है। हलांकि बहुत कम मौके ऐसे आये हैं, जबकि प्लांट की सभी यूनिट पूरी क्षमता के सांथ चलाई गई हों।
क्यों नहीं होती जिम्मेदारों पर कार्यवाही
संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे वर्षो से चल रहे फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की पोल खुलने के बावजूद आज तक किसी अधिकारी के खिलाफ सरकार ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। जबकि ऊर्जा मंत्री और विभागीय सचिव द्वारा अच्छी परफॉर्मेस न देने पर कार्यवाही की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती रहती हैं। हाल ही मे 4 महीने बाद रिटायर होने वाले रीवा के मुख्य अभियंता को डिमोशन करके हटा दिया गया था, फिर संगांतावि केन्द्र के अधिकारियों पर इतनी कृपा क्यों बरसाई जा रही है। इसका एक मात्र यही जवाब है कि लूट का हिस्सा सिर्फ नीचे ही नहीं ऊपर भी पहुंचाया जा रहा है।
साहब ने बंद किया मोबाईल
प्लांट मे हुए लाखों के नुकसान के संबंध मे जानकारी चाहने मुख्य अभियंता हेमंत संकुले से जानकारी लेने का प्रयास किया गया परंतु उन्होने अपना मोबाईल बंद कर दिया।

 

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